MP High court Decision On Unnatural Sex: मध्य प्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट (MP JBL HC) के एक फैसले ने नई बहस को जन्म दे दिया है. कोर्ट ने एक दंपत्ति के मामले की सुनवाई करने के दौरान कहा कि पति-पत्नी के बीच अप्राकृतिक यौन संबंध रेप नहीं हो सकता है.
अप्राकृतिक यौन संबंध रेप नहीं?
Unnatural sex not rape: जबलपुर हाईकोर्ट ने एक पत्नी द्वारा अपने ही पति पर धारा 377 के खिलाफ की गई FIR को निरस्त कर दिया है. पत्नी ने अपने पति पर अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था. मामला जबलपुर का है. जहां याचिकाकर्ता महिला ने 2021 में अपने पति सहित सास और ससुर पर दहेज़ मांगने और मारपीट की शिकायत नरसिंहपुर कोतवाली में की थी. इसके बाद जब पति द्वारा भी जबलपुर कुटुंब न्यायालय में तलाक की अर्जी लगाई गई तो महिला ने अपने पति के खिलाफ रेप का इल्जाम लगा दिया।
इस मामले की सुनवाई करने के दौरान जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की कोर्ट ने यह कहते हुए FIR को ख़ारिज कर दिया कि विधिक रूप से साथ रह रहे पति-पत्नी के बीच स्थापित संबंधों में IPC की धारा 377 के प्रावधान आकर्षित नहीं होते हैं. कोर्ट ने कहा-जहां जहां पति-पत्नी का मामला सामने होता है वहां 377 धारा लागू नहीं होती। कोर्ट ने ये भी कहा कि दंपत्ति के बीच अप्राकृतिक यौन संबंध सहमति के कारण होता है इसी लिए इसे बलात्कार नहीं माना जा सकता.
मैरिटल रेप को लेकर क्या है कानून
भारतीय कानून में मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया है. IPC की धारा 375 के अपवाद 2 में पति-पत्नी के बीच यौन संबंधों को बलात्कार की परिभाषा से अलग रखा गया है. इन्ही दोनों विधिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए एमपी हाईकोट ने अपना फैसला सुनाया है. भले ही मैरिटल रेप को भारतीय कानून बलात्कार नहीं मानता है लेकिन ये तलाक का वाजिब कारण जरूर बन सकता है.