MP High Court Decision: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि बैंक पेंशन से ऋण की कटौती नहीं कर सकता। कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पेंशन रोकने के निर्णय को गलत ठहराते हुए पूरी पेंशन जारी करने का आदेश दिया। यह फैसला मध्य प्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 के तहत लिया गया।
MP High Court Decision: इंदौर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि बैंक केवल पेंशन और पारिवारिक पेंशन के वितरण के लिए एक संवितरण एजेंसी है और उसे पेंशन राशि में किसी भी प्रकार की कटौती करने का अधिकार नहीं है। यह टिप्पणी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा पेंशन रोकने से संबंधित एक अपील के निराकरण के दौरान की गई। कोर्ट ने बैंक द्वारा बकाया ऋण के लिए पेंशन राशि में की गई कटौती को गलत ठहराया।
इंदौर के एक व्यक्ति ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से ऋण लिया था, जिसकी कुछ राशि बकाया थी। व्यक्ति की मृत्यु के बाद बैंक ने उनकी पेंशन रोक ली। इसके खिलाफ मृतक की पत्नी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। एकलपीठ ने बैंक को पेंशन का कुछ हिस्सा काटकर शेष राशि जारी करने का आदेश दिया था।
इस फैसले के खिलाफ मृतक की पत्नी ने युगलपीठ में अपील की, जिसमें तर्क दिया गया कि बैंक को पेंशन रोकने का अधिकार नहीं है। युगलपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मप्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम के तहत पेंशन में कमी केवल राज्यपाल के आदेश से हो सकती है। बैंक को बकाया ऋण वसूली के लिए अन्य कानूनी विकल्प अपनाने चाहिए। कोर्ट ने बैंक को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को तुरंत पूरी पेंशन राशि जारी की जाए।