एमपी। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में एक ऐसा किला मौजूद है जिसे लोग भूतिया किला के नाम से पुकराते है। बताते है कि यह किला शिवपुरी के पोहरी क्षेत्र में मौजूद है। वर्तमान स्थिति में यह किला वीरान पड़ा है और लोग शाम के बाद वहां जाने से डरते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि शाम ढलने के बाद यहां भूतों की महफिल सजती है और घुंघरूओं की आवाजें सुनाई देती हैं। कुछ लोगों ने दुस्साहस दिखाते हुए इस महफिल को देखने की कोशिश की, तो वे मौत के मुंह में चले गए।
राजा वीर खंडेराव का है किला
कहा जाता है कि यह किला राजा वीर खंडेराव का है और यहां हर रात आत्माओं की सभा लगती है, जिसमें भूत-प्रेत नाच-गाना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि शाम ढलते ही आत्माओं का इस किले पर कब्जा हो जाता है और खंडेराव की सभा शुरू हो जाती है। खंडेराव सभासदों के साथ नर्तकियों के नृत्य का आनंद लेते हैं। जिससे घुंघरुओं की आवाज आती हैं।
आत्माएं करती हैं खजाने की रक्षा
मान्यता है कि यहां के खजाने की रक्षा आत्माएं करती हैं और जो कोई भी वहां जाता है, उसे परेशान करती हैं। यह किला करीब 2100 साल पुराना है। अगर कोई भूले से भी किले के भीतर या झाड़ियों में पहुंच जाता है तो आत्माएं उन्हें परेशान करने लगती हैं। यही कारण है कि यह किला वीरान पड़ा है। कोई यहां आने का साहस नहीं जुटा पाता है।
ऐसी है मान्यताएं
इस किले के भूतिया होने के पीछे एक कहानी प्रचलित है. स्थानीय लोगों के अनुसार, करीब 2 हजार साल पहले बने इस किले में वीर खांडेराव राजा को नृत्य देखने को बेहद शौक हुआ करता था. राजा आए दिन अपने किले में आलीशान पार्टी का आयोजन करवाते थें। जिसमें नाच-गाने की महफिल सजती थी।
उनकी मौत के बाद इस किला में कोई टिक नही पाया और तब से यह किला वीरान है। लोगो का मानना है कि आज भी राजा वीर खांडेराव की महफिल इस किला में सजती है और भूत-प्रेत इसमें हिस्सा लेते है। नाच गाने होते है। जिसके चलते यहां से घुधरूओं की आवाज सुनाई देने लगती है। यही वजह है कि इस किले को लोग अब भूतिया किला के नाम से संबोधित करने लगे।
बहरहाल किला की ऐसी कोई घटनाओं को लेकर शब्द सॉची न्यूज दावा नही करता है। यह महज कुछ आर्टिकल के आधार पर जानकारी शेयर कर रहा है।
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