MP GK | The Most Important Princely State Of Madhya Pradesh In Hindi: वैसे तो आज लोकतंत्र स्थापित हो चुका है, लेकिन कुछ 100 साल पहले तक देश में कई रियासतें थीं। जो राजा-रजवाड़ों और नवाबों द्वारा शासित की जाती थीं। कई रियासतें क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत बड़ी थीं और आर्थिक रूप से सम्पन्न थीं, जबकि कई रियासतें बहुत छोटी थीं। ग्वालियर, इंदौर, रीवा, ओरछा, पन्ना, भोपाल, रतलाम, देवास और धार इत्यादि मध्यप्रदेश की सर्वाधिक बड़ी और सम्पन्न रियासतें थीं।
(1) ग्वालियर | MP GK
मध्यप्रदेश में जितनी भी रियासतें थीं, उनमें ग्वालियर का स्थान सर्वोच्च स्थान था।
यह मध्यप्रदेश में स्थित सबसे बड़ी रियासत थी, इसका क्षेत्रफल 68291 वर्ग किलोमीटर था।
ग्वालियर का राजघराना मराठों का था। जिन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा 21 तोपों की सलामी दी जाती थी।
इस वंश का संस्थापक रानो जी था, जो सतारा के कान्हर खेड़ का एक पाटिल था।
पेशवा बाजीराव के सैनिक अभियानों में यह मालवा आए।
जहाँ पेशवा ने इन्हें जागीर दी, इस वंश की पहली राजधानी उज्जैन थी।
बाद में महादजी सिंधिया ने अपनी राजधानी उज्जैन से ग्वालियर कर ली।
मध्यप्रदेश के सभी रियासतों में ग्वालियर सबसे धनी रियासत थी।
(2) रीवा | MP GK
यह क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्यप्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी रियासत थी। इसका क्षेत्रफल 33670 वर्ग किलोमीटर था।
यहाँ पर बघेला वंश के राजपूतों का शासन था, जो 12 वीं से 14 वीं शताब्दी के मध्य गुजरात से विंध्य आए थे।
कथाओं के अनुसार इस वंश का आदिपुरुष व्याघ्रदेव था।
यह रियासत मध्यप्रदेश ही नहीं देश के सर्वाधिक पुरानी रियासतों में से एक थी।
इस रियासत की पुरानी राजधानी गहोरा और बांधवगढ़ थे, बाद में 1618 में विक्रमादित्य नाम के राजा ने अपनी राजधानी रीवा को बनाया।
इस रियासत के राजाओं को पहले 19 तोपों की सलामी दी जाती थी, पर कुछ घटनाओं के बाद 17 तोपों की सलामी दी जाने लगी।
यह रियासत मध्यप्रदेश की तीसरी सबसे धनी रियासत थी।
(3) इंदौर | MP GK
इस रियासत की स्थापना भी एक मराठा सरदार मल्हारराव होल्कर ने 18वीं शताब्दी में किया था।
मल्हारराव होल्कर भी पेशवा बाजीराव के सैनिक अभियानों के तहत मालवा आए थे, जहाँ उन्हें पेशवा द्वारा जागीर दी गई थी।
इंदौर रियासत मध्यप्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी रियासत थी। इसका क्षेत्रफल 25,646 वर्ग किलोमीटर था।
मल्हारराव होल्कर के बाद उनकी पुत्रवधू अहिल्याबाई ने इंदौर राज्य की बागडोर संभाली।
उनका शासन इंदौर का स्वर्णयुग माना जाता है।
यहाँ के राजा को ब्रिटिश सरकार द्वारा 19 तोपों की सलामी दी जाती थी।
मध्य में स्थित होने के कारण इंदौर मध्यप्रदेश का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था।
यह मध्यप्रदेश की दूसरी सबसे धनी रियासत थी।
(4) भोपाल | MP GK
भोपाल मध्यप्रदेश की चौथी सबसे बड़ी रियासत थी। इसका क्षेत्रफल 17,933 वर्ग किलोमीटर था।
इस रियासत की स्थापना दोस्त मुहम्मद खान नाम के अफ़गान सैनिक ने की थी, जो मुग़लों की सेवा में था।
1723 में वह निजाम-उल-मुल्क की सेनाओं के साथ मालवा अभियान पर आया था और वहीं रह गया।
उसने आस-पास के कई गोंड और राजपूत सरदारों को पराजित किया और रियासत की नींव रखी।
पहले इस रियासत की राजधानी इस्लाम नगर थी, बाद में भोपाल इसकी राजधानी बनी।
भोपाल को अपने बेगमों के शासन के वजह से जाना जाता है।
1819 से लेकर 1930 तक यहाँ लगातार चार बेग़मों ने शासन किया।
यहाँ के नवाबों को ब्रिटिश सरकार द्वारा 19 तोपों की सलामी दी जाती थी।
(5) ओरछा | MP GK
ओरछा मध्यप्रदेश की बड़ी रियासत थी। यहाँ पर बुंदेला राजपूतों का शासन था।
इस वंश का आदिपुरुष पंचम सिंह को माना जाता है।
पर ऐतिहासिक दृष्टि से देखे, तो राजा रुद्रप्रताप बुंदेला इस वंश के वास्तविक संस्थापक थे।
इस राज्य की प्रारंभिक राजधानी गढ़ कुंडार थी, बाद में ओरछा इसकी राजधानी बनी।
19 वीं शताब्दी में यहाँ के राजाओं ने अपनी राजधानी टीकमगढ़ में बना ली।
ओरछा बुंदेलखंड की सबसे प्रमुख और धनी रियासत थी।
हालांकि क्षेत्रफल की दृष्टि से इसका स्थान पन्ना रियासत के बाद था।
लेकिन इस राज्य को ब्रिटिश सरकार द्वारा 15 तोपों की सलामी दी जाती थी।