MP: दिग्विजय सिंह ने हाईकोर्ट में खुद लड़ी बहस, सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन लागू करने की मांग

Digvijay Singh argues in MP High Court demanding implementation of Supreme Court guidelines

MP News: राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा संग्रह के दौरान कथित सांप्रदायिक तनाव और जबरन वसूली के आरोपों से जुड़े मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर पीठ में अंतिम सुनवाई हुई। दिग्विजय सिंह स्वयं कोर्ट में उपस्थित रहे और लगभग 20 मिनट तक अपनी याचिका के पक्ष में स्वयं बहस की।

MP News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की उस जनहित याचिका पर अंतिम सुनवाई हुई, जिसमें राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा संग्रह अभियान के दौरान प्रदेश में हुए कथित सांप्रदायिक विवादों पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के पालन की मांग की गई है। याचिकाकर्ता दिग्विजय सिंह स्वयं उपस्थित रहे और करीब 20 मिनट तक अपनी दलीलें रखीं।

दिग्विजय सिंह ने खुद की बहस

दिग्विजय सिंह ने कोर्ट को बताया कि वे राम मंदिर के विरोधी नहीं हैं, बल्कि चंदा संग्रह के दौरान कुछ क्षेत्रों में हुई सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन का सख्ती से पालन चाहते हैं। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के लिए सांप्रदायिक हिंसा रोकने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में इनका पालन नहीं हो रहा।”

लाउडस्पीकर पर विवाद, मस्जिदों के बाहर उकसावे का आरोप

सिंह ने विशेष रूप से लाउडस्पीकर के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि धार्मिक जुलूसों और धरना-प्रदर्शनों में लाउडस्पीकर के उपयोग पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन में सख्ती है, फिर भी कुछ लोग मस्जिदों के बाहर जानबूझकर लाउडस्पीकर बजाकर दूसरी समुदाय को उकसाते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है।

संवेदनशील स्थानों पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश का भी नहीं हुआ पालन

याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील स्थानों को चिह्नित कर वहां एसपी रैंक के नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने थे, लेकिन प्रदेश में ऐसा नहीं हुआ। पीड़ितों को मुआवजा दिलाने और शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया भी स्पष्ट नहीं है।दिग्विजय सिंह ने कोर्ट से मांग की कि मुख्य सचिव, गृह विभाग के प्रमुख सचिव और डीजीपी की समिति गठित कर गाइडलाइन के पालन की निगरानी की जाए।

सरकार का पक्ष: गाइडलाइन का पालन होता है, उल्लंघन पर FIR दर्ज की जाती है

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है और उल्लंघन होने पर त्वरित कार्रवाई की जाती है तथा FIR भी दर्ज की जाती है।

दिग्विजय पर 10 साल में 11 मुकदमे दर्ज होने का सरकार ने जिक्र किया

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता दिग्विजय सिंह पर पिछले दस वर्षों में 11 आपराधिक प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। इस पर दिग्विजय सिंह ने तुरंत जवाब दिया कि “सभी मामले राजनीतिक हैं। मेरे ऊपर भ्रष्टाचार का एक भी मुकदमा नहीं है। मुझे आदतन अपराधी साबित करने की कोशिश की जा रही है।”

सांप्रदायिक मुद्दे का हवाला देकर लाइव प्रसारण बंद

सुनवाई दोपहर करीब 1 बजे युगलपीठ (कक्ष संख्या-2) के समक्ष शुरू हुई। जैसे ही बहस शुरू हुई, एक अधिवक्ता ने सांप्रदायिक मुद्दे पर चर्चा होने का हवाला देकर लाइव टेलीकास्ट पर रोक लगाने की मांग की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और प्रसारण तत्काल बंद कर दिया गया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। अब अगली तारीख पर आदेश सुनाया जाएगा।

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