MP: प्रदेश के इस शहर में ‘रोहिंग्या-बांग्लादेशी’ रहने का संदेह, SIR में नहीं दे रहे दस्तावेज

MP city document verification SIR investigation underway by authorities

Rohingya Jabalpur: मध्य प्रदेश के जबलपुर में बड़ी संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के अवैध रूप से बसने और सरकारी जमीन पर कब्जा करने का मामला प्रकाश में आया है। विशेष संशोधन अभियान (SIR) के तहत घर-घर जाकर दस्तावेज जांच कर रहे BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) को इन लोगों ने कोई वैध पहचान पत्र या दस्तावेज दिखाने से इनकार कर दिया।

Rohingya Jabalpur: मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर के बरेला थाना क्षेत्र अंतर्गत हिनोतिया भोई में रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे और जाली दस्तावेजों के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का मामला सामने आया है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल सहित हिंदूवादी संगठनों ने इसकी शिकायत प्रशासन से की और 27 नवंबर तक अवैध कब्जे हटाने का अल्टीमेटम दिया है।

संगठनों के अनुसार, हिनोतिया भोई में सैकड़ों परिवार पिछले कई वर्षों से सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बसे हुए हैं। इनमें अधिकांश रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक बताए जा रहे हैं। आरोप है कि इन लोगों ने फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और अन्य दस्तावेज बनवाकर केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाया है।

वीएचपी विभाग संयोजक सुमित सिंह ठाकुर ने कहा, “ये घुसपैठिए न केवल सरकारी जमीन हड़प रहे हैं, बल्कि जाली दस्तावेजों के बल पर देश की सुरक्षा और संसाधनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यदि 27 नवंबर तक प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो हम स्वयं इन अवैध कब्जेदारों को हटाएंगे। यह अभियान पूरे देश में अवैध घुसपैठ के खिलाफ चल रहा है।”

हिंदू संगठनों ने बुधवार को कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर तत्काल कार्रवाई की मांग की।वहीं, पुलिस और राजस्व विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अंजना तिवारी ने बताया, “हिनोतिया भोई में करीब सात वर्षों से कुछ लोग सरकारी जमीन पर रह रहे हैं। शिकायत मिलने के बाद तहसीलदार ने पहले ही नोटिस जारी कर दिए हैं। दस्तावेजों की प्रामाणिकता और विदेशी नागरिकों की मौजूदगी की गहन जांच की जा रही है। जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी।”यह मामला जबलपुर में अवैध घुसपैठ और फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण माना जा रहा है। प्रशासन पर अब कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है।

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