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मध्य प्रदेश में मंत्री-सांसदों को विधायकी का चुनाव लड़ाना बीजेपी की रणनीति या मजबूरी?

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MP Vidhansabha Chunav 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी द्वारा जारी की गई उम्मीदवारों की दूसरी सूची ने सबको अचंभे में डाल दिया है। हैरानी हो भी क्यों नहीं! तीन केंद्रीय मंत्रियों और चार सांसदों को विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारने का फैसला जो लिया गया है। इसकी अटकलें 13 सितंबर से ही तब शुरू हो गई थी, जब दिल्ली में केंद्रीय चुनाव कमेटी की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अध्यक्षता में ली गई थी। जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद थे.

भाजपा अभी तक कैंडिडेट्स की तीन सूची जारी कर चुकी है। जिसमें 79 उम्मीदवारों के नाम हैं। पहली सूची 39 उम्मीदवारों की थी जो पार्टी ने 17 अगस्त को जारी की थी. दूसरी लिस्ट में भी 39 उम्मीदवारों का नाम था जिसे 25 सितंबर को जारी किया गया और तीसरी लिस्ट को 26 सितंबर के दिन जारी किया गया जिसमे सिर्फ एक ही प्रत्याशी का नाम था.

मंत्रियों को विधायक क्यों बना रही BJP?

इस सूची पर कैलाश विजयवर्गीय ने भी आश्चर्य व्यक्त किया है. एक वीडियो जो इन दिनों वायरल हो रहा जिसमें वे कहते हैं, “ये पार्टी का आदेश है. मुझसे कहा गया था कि मुझे कोई ज़िम्मेदारी दी जाएगी और मुझे ना नहीं करना है. जब सूची जारी की गई तो मुझे भी आश्चर्य हुआ. मैं संगठन का सिपाही हूँ. जो कहा जाएगा, वही करूंगा.


इंदौर-I विधानसभा सीट से विजयवर्गीय को उम्मीदवार बनाया गया है जहाँ से वे अपने पुत्र के टिकट के लिए प्रयास कर रहे थे.
इस सूची में 11 नए चेहरों को जगह मिली है. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पांच समर्थकों के नाम भी शमिल हैं

आगामी लिस्ट में भी सांसदों को टिकट देगी पार्टी?

230 सीटों वाली विधानसभा सीटों वाले एमपी में अभी तक 79 उम्मीदवारों की घोषणा बीजेपी कर चुकी है. अभी भी 151 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जाने बाक़ी हैं। इसलिए ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि पार्टी और बड़े चेहरों को चुनाव मैदान में उतारेगी। अब तक जो टिकट दिए गए हैं. उनमें सबसे ज़्यादा 22 मालवा और निमाड़ अंचल में दिए गए हैं। जो बीजेपी और संघ का पुराना गढ़ माना जाता है। इसके बाद ग्वालियर-चंबल संभाग से 15 नामों की घोषणा हुई है. वहीं महाकौशल के इलाक़े से 18 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है।

शिवराज सिंह चौहान को नहीं माना जा रहा अगला सीएम!

राजनितिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी की दूसरी लिस्ट से साफ़ संकेत आ रहे हैं कि ‘भाजपा सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है और उससे निपटने के लिए उसकी कमान में ये आख़िरी तीर था’ अब सबकी नज़र भाजपा की अगली सूचियों पर होगी, क्योंकि हो सकता है कि पार्टी उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी चुनावी दंगल में उतार दे. कहा जा रहा है कि 4 बार मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री चुने जाने के बाद केंद्रीय नेतृत्व एमपी में सीएम चेहरा बदलना चाहता है. लेकिन सीएम चौहान भी बड़ी मजबूती के साथ अपनी अहमियत साबित करने में जुटे हुए हैं. उनके पास भी विधायकों का समर्थन है।

भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश इकाई के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि अब तक की दो लिस्ट इस बात का संकेत हैं कि बीजेपी हर चुनाव को बड़ी गंभीरता से लेती है, फिर वो चाहे लोकसभा हो या विधानसभा। “ये तो संगठन का विशेषाधिकार है. संगठन ही यह निर्णय लेता है कि नेता या कार्यकर्ता की क्या ज़िम्मेदारी होगी? फिर वो किसी भी पद में क्यों ना हों. हम अपना ‘बेस्ट फुट’ यानी बेहतर क़दम ही आगे बढ़ाते हैं.” पार्टी ने इस फैसले से जनता का विश्वास हासिल है, और इसके परिणाम भी अच्छे आएँगे. ये बात सच है कि दूसरी सूची में केन्द्रीय मंत्री भी हैं और सांसद भी, मगर ये चुनावी रणनीति है. चुनाव जीतने के लिए जो निर्णय लिया जा सकता था हमने लिया।

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