शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में एक ब्राह्मण और दो OBC नेताओं को मंत्री दर्जा दिया गया है. इसके पीछे क्या राजनीति है? आइए समझते हैं
एमपी कैबिनेट विस्तार: मध्य प्रदेश में डेढ़ से दो महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी तैयारियों के बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल का चौथा मंत्रिमंडल विस्तार किया है. शनिवार 26 अगस्त को राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने शनिवार को सुबह राजभवन में तीन विधायक राजेंद्र शुक्ला, गौरीशंकर बिसेन और पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को मंत्री पद की शपथ दिलाई।
गौर करने वाली बात ये है कि अक्टूबर से मध्य प्रदेश में आचार संहिता लग सकती है, और नवंबर में दिवाली बाद एमपी असेंबली इलेक्शन की तारीखें घोषित की जा सकती हैं. ऐसे में जिन तीन नेताओं को मंत्री पद दिया गया है वो इस पद में सिर्फ डेढ़-दो महीने के लिए ही सक्रीय रह पाएंगे।
शिवराज सरकार के कैबिनेट विस्तार से तीन सवाल उठते हैं
- पहला- अचार संहिता लगने के डेढ़ महीने पहले तीन नए मंत्री क्यों बनाने पड़े?
- दूसरा- मंत्रिमंडल विस्तार से बीजेपी को क्या फायदा होगा?
- तीसरा- इतने कम वक़्त में नए मंत्री अपने मंत्रालय का क्या काम कर पाएंगे?
एमपी में कैबिनेट विस्तार की जरूरत क्यों पड़ी?
रीवा से MLA राजेंद्र शुक्ल का विंध्य क्षेत्र में अच्छी पकड़ है, बालाघाट से विधायक गौरीशंकर बिसेन महाकौशल के कद्दावर नेता हैं और खरगापुर विधायक राहुल लोधी के पीछे उमा भारती और उनके समर्थकों का सपोर्ट है। गौरीशंकर बिसेन और राहुल लोधी OBC लीडर हैं और मध्य प्रदेश में OBC की आबादी 50% से ज्यादा है. इधर विंध्य में 14% वोटर्स ब्राह्मण है. पूरे एमपी में सर्वाधिक ब्राह्मण और सवर्ण विन्ध्यवासी ही हैं.
राजेंद्र शुक्ल
रीवा से पिछले 4 चुनावों में लगातार जीत हासिल कर रहे राजेंद्र शुक्ल, हर टर्म में मंत्री रहे हैं. राजेंद्र शुक्ल मुख्यमंत्री चौहान के भरोसेमंद हैं. मध्य प्रदेश OBC बाहुल्य राज्य है जहां सवर्णों की आबादी सिर्फ 6% है, विंध्य में 14% ब्राह्मण वोटर्स हैं और यहां की 30 विधानसभाओं में ब्राह्मण आबादी 30% है. लेकिन सवर्ण वर्ग खासकर ब्राह्मण इस समय बीजेपी से उखड़ा हुआ है.
कहा जा रहा है कि सीधी पेशाबकांड के आरोपी प्रवेश तिवारी के घर गिराने से क्षेत्रीय ब्राह्मण खासे नाराज हैं. कई ब्राह्मण समाज से जुड़े संगठन आरोपी के समर्थन में उतरे थे और बीजेपी को कभी वोट ना देने के नार भी लगाए थे. राजेंद्र शुक्ल बीजेपी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं और उन्हें मंत्री दर्जा देकर पार्टी डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है.
पिछले चुनाव में विंध्य ऐसा क्षेत्र था जहां बीजेपी को सबसे ज्यादा सफलता हाथ लगी थी. यहां की 30 सीटों में से 24 पर बीजेपी की जीत हुई थी. इस अप्रत्याशित जीत का क्रेडिट राजेंद्र शुक्ल को ही दिया जाता है.
गौरीशंकर बिसेन
गौरीशंकर बिसेन 7 बार से विधायक है. वो पवार समाज से नाता रखते हैं. बालाघाट और महाकौशल में 35% आबादी पवारों की है. बालाघाट विधानसभा सीट का जातीय समीकरण देखें तो यहां 26% हिस्सा लोधी समाज का है। 22% मतदाता गवारी, कलार और कुनबी समाज से आते हैं। 6% आदिवासी और 10 % अन्य जाति के वोटर्स हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि विधानसभा चुनाव में जिसने यहां जाति समीकरण को साधने में सफलता हासिल की, वो बालाघाट और आसपास के जिलों में सियासी फायदा उठाने में सफल हो सकता है।
राहुल लोधी
राहुल सिंह लोधी, एमपी की पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे हैं. बुंदेलखंड में उमा भारती का खासा प्रभाव है. उमा भारती कभी-कभी शिवराज सरकार की ही नीतियों का विरोध कर देती हैं और उनके विरोध के चलते सीएम चौहान को बैकफुट लेना पड़ता है. चंबल से लेकर बुंदेलखंड तक का क्षेत्र OBC बाहुल्य है. और राहुल लोधी को मंत्री बनाए जाने से बीजेपी यहां रहने वाले लोधी-OBC समाज के लोगों को साधने की कोशिश कर रही है.
डेढ़ महीने के लिए बने मंत्री, क्या काम करेंगे?
राजेंद्र शुक्ल और गौरीशंकर बिसेन को कैबिनेट और राहुल लोधी को राज्यमंत्री बनाया गया है. जबतक आचार संहिता लागू नहीं होती तबतक तीनों नेता अपने आवंटित विभाग में पूरे अधिकार के साथ काम कर सकते हैं. तीनों मंत्रियों को सरकारी आवास से लेकर अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। नई सरकार के गठन तक इन्हें वेतन भी मिलता रहेगा।
आचार संहिता लागू होने के बाद सभी मंत्री कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकेंगे, ना ही नए प्रोजेक्ट्स की घोषणा कर सकेंगे। लेकिन पहले से चल रहे कामों को लेकर मंत्री फैसला ले सकते हैं। विभाग की विभागीय बैठक भी कर सकेंगे।