MP News: भाजपा इस बार कोशिश कर रही है कि जमीनी कार्यकर्ताओं को बड़ी जिम्मेदारियां दी जाएं। पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने साफ किया है कि नियुक्तियां आपसी सहमति से होंगी। ऐसे नेता चुने जाएंगे जो न तो सांसदों और विधायकों के विरोधी हों और न ही उनके दबाव में हों.
MP BJP Organization Election: हम बात करेंगे मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के संगठन में हो रहे बड़े बदलावों की। पार्टी अपने संगठन को कैसे प्रभावशाली नेताओं के दबाव से मुक्त कराने की कोशिश कर रही है, और इसका भविष्य पर क्या असर पड़ेगा? आइए, विस्तार से जानते हैं! मध्य प्रदेश में भाजपा के सामने एक बड़ी चुनौती है ‘संगठन के चुनाव’। इस बार पार्टी का पूरा फोकस यह सुनिश्चित करने पर है कि नियुक्तियां मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और बड़े नेताओं के प्रभाव में न हों। राज्य के भीतर कई प्रभावशाली नेता हैं, जो खुले तौर पर गुट तो नहीं बना रहे, लेकिन धड़े जरूर हैं। ऐसे में सर्वमान्य नेतृत्व का चयन करना पार्टी के लिए आसान नहीं हो पा रहा.
इस बार नियुक्तियां आपसी सहमति से होंगी
भाजपा इस बार कोशिश कर रही है कि जमीनी कार्यकर्ताओं को बड़ी जिम्मेदारियां दी जाएं। पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश (Shiv Prakash) ने साफ किया है कि नियुक्तियां आपसी सहमति से होंगी। ऐसे नेता चुने जाएंगे जो न तो सांसदों और विधायकों के विरोधी हों और न ही उनके दबाव में हों. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती पुराने और नए नेताओं के बीच सामंजस्य बैठाने की है। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) सुरेश पचौरी जैसे बड़े कांग्रेस नेताओं के भाजपा में आने के बाद यह पहली बार है जब संगठन में नियुक्तियां हो रही हैं।
संगठनात्मक बदलाव एक बड़ा कदम है
कांग्रेस से आए नेताओं की कार्यशैली और पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं की सोच में बड़ा फर्क है। यह टकराव हाल ही में विजयपुर उपचुनाव में भाजपा की हार की वजह भी बना। पार्टी लगातार सत्ता में रहने से आई ढिलाई और कांग्रेसी शैली को दूर करना चाहती है। भाजपा के नेताओं में भी ‘कांग्रेसी गुण’ आने की शिकायतें उठ रही हैं। ऐसे में संगठन को मजबूत बनाने के लिए कसावट जरूरी है। पार्टी अब एक नई नीति के तहत नियुक्तियों पर पैनी नजर रख रही है ताकि गुटबाजी को रोका जा सके। मध्य प्रदेश भाजपा का यह कदम केवल राज्य तक सीमित नहीं है। इसका असर अन्य राज्यों पर भी पड़ सकता है, जहां पार्टी के लिए गुटबाजी एक चुनौती है। मजबूत संगठन ही भाजपा की जीत की गारंटी है, और पार्टी अब इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। मध्य प्रदेश भाजपा का यह संगठनात्मक बदलाव एक बड़ा कदम है। क्या यह गुटबाजी को खत्म कर पाएगा? फिलहाल ये देखने वाली बात होगी।
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