Mouth Ulcers Home Remedy: मुंह के अल्सर जिन्हें हम आम भाषा में मुंह के छाले के नाम से जानते हैं यह अत्यंत पीड़ा दायक होते हैं। इनकी वजह से हमारी रोजमर्रा की गतिविधि बाधित होती है। जैसे कि बोलना, खाना, पानी पीना जैसी सारी एक्टिविटीज को यह मुश्किल बना देते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मुंह के अल्सर पित्त दोष (mouth ulcer home remedy) में असंतुलन की वजह से होने लगते हैं। इसके उपचार के लिए शीतल और वात पित्त नाशक औषधीय का उपयोग किया जाता है। यदि आपको भी बार-बार मुंह के अल्सर होते हैं तो आप आपके लिए आज का लेख काफी उपयोगी सिद्ध होगा।
मूंह के अल्सर कम करने का आयुर्वेदिक उपाय
जी हां, मुंह के अल्सर हेतु आप प्राकृतिक और आयुर्वेदिक इलाज(mooh ke chalo ka ayurvedic ilaz) कर सकते हैं जो आपके मुंह के अल्सर से हमेशा के लिए छुटकारा दिलवा देते हैं। आयुर्वेदिक औषधीय आपके वात और पित्त को संतुलित करती है जिससे बार-बार होने वाले मुंह के अल्सर से छुटकारा मिल जाता है और आज के इस लेख में हम आपको आयुर्वेद में उल्लेखित इन्हीं कुछ विशेष औषधीय की जानकारी देंगे जिनका उपयोग कर आप मुंह के अल्सरों से हमेशा के लिए छुटकारा प्राप्त करेंगे।
मुंह के अल्सर से छुटकारा पाने के लिए लाभकारी औषधियां
भूमि आमला: भूमि आमला भूमीअम्लयक़ी भी कहा जाता है यह एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी होती है। इसका वैज्ञानिक नाम phyllanthus niruri है। यह जड़ी बूटी पित्त नाशक होती है। पित्त नाशक गुणों की वजह से यह अल्सर से होने वाली जलन और सूजन को कम करता है। भूमि आंवला की जड़ी बूटी का पाउडर बनाकर यदि रोजाना 3 से 6 ग्राम पानी के साथ लिया गया तो यह अल्सर से छुटकारा दिलाता है हालांकि अत्यधिक सेवन की वजह से यह दस्त जैसी बीमारियां बढ़ा सकती है।
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त्रिफला चूर्ण: त्रिफला जिसमें आंवला, विभितकी और हरितकी का मिश्रण होता है यह मुंह के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होती है। त्रिफला का रोजाना उपयोग मुंह के अल्सर को हमेशा के लिए दूर कर देता है। इसके अलावा यह एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है। यह पाचन तंत्र को तो संतुलित करती ही है साथ ही पित्त और बात जैसे दोष को भी दूर करती है।। आप चाहे तो त्रिफला के पानी से कला भी कर सकते हैं जिससे अल्सर में काफी राहत मिलती है।
मुलेठी: मुलेठी भी पाचन को सुधारने और अल्सर को कम करने में बेहद लाभकारी होती है। त्रिफला और मुलेठी के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर यदि नारियल तेल के साथ मिलकर अल्सर पर लगाया गया तो अल्सर धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।बइसके साथ यदि आप त्रिफला और मुलेठी चूर्ण का सेवन करते हैं तो शरीर में पित्त बनने की प्रक्रिया कम हो जाती है जिससे बार-बार अल्सर नहीं होते।