जिनके जज्बे के आगे छोटा पड़ गया था Mount Everest , जानिए कौन थे Edmund Hillary

हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट  एवरेस्ट पर चढ़ना आसान नहीं है। लेकिन न्यूजीलैंड के सबसे बड़े शहर ऑकलैंड में जन्मे एडमंड हिलेरी (Edmund Hillary) ने ये कारनामा करके दिखाया था. जिसे आज भी दुनिया याद करती है.

आज (20 जुलाई ) का दिन बेहद ख़ास है. दरअसल आज ही के दिन एडमंड हिलेरी का जन्म हुआ था. जिन्होंने 29 मई 1953 को नेपाल के  तेनजिंग नॉर्गे (Tenzing Norgay) के साथ मिलकर दुनिया की सबसे ऊंची और दुर्गम चोटी एवरेस्ट पर फतह हासिल करके दिखाई थी. इस ख़ुशी में  ब्रिटेन की महारानी ने हिलेरी की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए उन्‍हें नाइट की उपाधि से भी नवाजा था।

पहले प्रयास में चूके

यह बात 1953 से एक साल पहले की है, यानी सन 1952 की। इस साल भी हिलेरी ने एवरेस्ट विजय की कोशिश की थी, मगर वह कामयाब नहीं हुए। जॉन हंट के नेतृत्व में एडमंड हिलेरी 20 अन्य बेहतरीन पर्वतारोहियों के साथ एवरेस्ट के साथ माउंट एवरेस्ट को मापने निकले थे. लेकिन कोई भी सफल न हुआ।

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1953 में हुए कामयाब

मार्च 1953 में 25,900 फीट की ऊंचाई पर बेस कैंप तैयार कर दिया गया था। जॉन हंट की अगुवाई में एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे एवरेस्ट पर गए. जॉन हंट और तेनजिंग नॉर्गे को 26 मई को एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ना था। लेकिन तूफ़ान की वजह से अभियान में दो दिन की देरी हुई.

फिर 28 मई को चढ़ाई की शुरुआत हुई और इस दिन दोनों ने 8,500 मीटर तक चढ़ाई की. वहीं, 29 मई की सुबह 11.30 बजे दोनों ने एवरेस्ट की शीर्ष चोटी पर पहुंचने में सफलता हासिल की.

 एलिजाबेथ नें किया था सम्मानित

दोनों ने एवरेस्ट की शीर्ष चोटी पर पहुंचने में सफलता हासिल की. जिसके बाद अभियान के बेस कैंप से रेडियो पोस्ट तक इस सफलता की खबर पहुंचाई गई. इस सूचना को तुरंत लंदन भेजा गया. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय इसे सुनकर गदगद हो गईं.

1 जून को अपने राज्याभिषेक की पूर्व संध्या पर इस उपलब्धि के बारे में जाना. इस उपबल्धि के बाद ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की तरफ से हिलेरी और हंट को नाइट की उपाधि दी.

सबसे पहले एवरेस्ट पर कौन चढ़ा ?

हालांकि एवरेस्ट पर चढ़ने का सबले पहला रिकॉर्ड प्रयास साल 1921 में किया गया था. यह एक ब्रिटिश दल का अभियान था. जिसने तिब्बती पठार से करीब 400 मील की दूरी तय कर ली थी लेकिन तेज तूफान ने उनकी आगे की चढ़ाई को रोक दिया. यह प्रयास असफल रहा.

एवरेस्ट की चोटी के बारे में

माउन्ट एवरेस्ट हिमालय पर्वत श्रखला की एक चोटी है. यह नेपाल और तिब्बत के बीच स्थति है, जो चीन का स्वायत्त क्षेत्र  है। 8,849 मीटर (29,032 फीट) की ऊंचाई पर. इसे पृथ्वी का सबसे ऊंचा बिंदु माना जाता है.

एवरेस्ट की चढ़ाई मानव इतिहास में मील का पत्थर 

माउंट एवरेस्ट की विजय पर्वतारोहण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर दर्शाती है, मानव उपलब्धि की सीमाओं को आगे बढ़ाती है और मानव दृढ़ता की क्षमता का प्रदर्शन करती है। हिलेरी और नोर्गे के अभियान की सफलता निस्संदेह साहसी और खोजकर्ताओं की भावी पीढ़ियों को अपनी सीमाओं का परीक्षण करने और सितारों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करेगी। इनकी सफलता से एवरेस्ट को और नजदीक से समझने का अवसर मिला।

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