Uttar Pradesh : मां की मौत के दो दिन बाद नौकरी के लिए इंटरव्यू की तारीख थी। दिल में अपार दर्द लिए श्रेया घर से बाहर कदम रखने में कांप रही थी। तभी मां की सीख और सपने श्रेया का सहारा बने और नौकरी के लिए इंटरव्यू देने की ताकत दी। अफसर बनाने में दिवंगत हो चुकी मां के सपनों को साकार कर श्रेया उपाध्याय आज बलरामपुर की जिला पंचायत राज अधिकारी के पद पर तैनात हैं।
जिला मुख्यालय के गांधीनगर मोहल्ले में मोबाइल की दुकान चलाने वाले घनश्याम उपाध्याय के तीन बेटे हैं, जिनमें सबसे बड़े शुभम और शिवम हैं, उसके बाद इकलौती बेटी श्रेया और फिर सुयश हैं। दोनों भाई प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं। छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा है।
बचपन से ही होनहार थी श्रेया उपाध्याय। Uttar Pradesh
श्रेया को अफसर बनाने के लिए उसकी गृहणी मां अनीता उपाध्याय ने उसका मार्गदर्शन करना शुरू किया। हाईस्कूल में 76 प्रतिशत, इंटरमीडिएट में 86 प्रतिशत और ग्रेजुएशन में 69 प्रतिशत अंक हासिल करने के बाद श्रेया लक्ष्य हासिल करने प्रयागराज निकल पड़ी। उनके माता-पिता ने अपनी बेटी का पूरा साथ दिया।
श्रेया 2017 से यूपी पीसीएस की तैयारी कर रही हैं।
उन्होंने वर्ष 2017 से यूपी-पीसीएस परीक्षा की तैयारी शुरू की। वर्ष 2018 से लेकर 2021 तक उन्होंने कई परीक्षाएं दीं, लेकिन सफलता से चूक जाती थीं। कई बार मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में निराश हो जाती थीं। हालांकि इस दौरान मां ने असफलता की हताशा को तोड़ा और बेटी को हमेशा हिम्मत के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
मां कहती थीं कि मेरी बेटी अफसर बनेगी। Uttar Pradesh
श्रेया बताती हैं कि उनकी मां कहती थीं कि परीक्षा में असफल होने पर निराश होने के बजाय गलती की समीक्षा करनी चाहिए और अगली तैयारी पर ध्यान देना चाहिए। पिछली असफलता को भी सकारात्मक और ज्ञानवर्धक मानना चाहिए। वह हमेशा कहती थीं कि मेरी बेटी अफसर बनेगी। आखिरकार वर्ष 2022 की परीक्षा में सफलता मिल गई। मुख्य परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्कार की तिथि 14 मार्च 2023 तय की गई।
साक्षात्कार से 2 दिन पहले मां का निधन हो गया।Uttar Pradesh
नियति ने श्रेया को अपार पीड़ा देकर उसका इम्तिहान लेना शुरू किया और इंटरव्यू से दो दिन पहले 12 मार्च को उसकी मां अनीता उपाध्याय का निधन हो गया। मां के चले जाने से इंटरव्यू की उसकी तैयारी चौपट हो गई। बेटी को अफसर बनाने का सपना देखने वाली मां अब इस दुनिया में नहीं रहीं। अंदर से टूटी श्रेया को उसके रिश्तेदारों ने ढांढस बंधाया और मां के सपनों और सीखों की याद दिलाई। इसके बाद कठोर मन से श्रेया ने मां के सपनों को साकार करने के लिए कदम बढ़ाए। अपार पीड़ा के बीच बेटी को सवालों के जवाब देते देख सफलता उसके सामने झुक गई।
आज श्रेया ने वह लक्ष्य हासिल कर लिया है जो उसकी मां ने तय किया था।
श्रेया उपाध्याय को बलरामपुर में जिला पंचायत राज अधिकारी के पद पर पहली पोस्टिंग मिली है। वह कहती हैं कि मां की सीख और सपने ही मुझे यहां तक लेकर आए हैं। मां ने ही मेरा लक्ष्य तय किया था। उनके निधन के बाद लक्ष्य हासिल करने का जुनून अचानक से बढ़ गया। माता-पिता मेरी छोटी-छोटी सफलताओं पर भी खुशी मनाते थे।