MahaKumbh 2025 : बसंत पंचमी पर 10 लाख से ज्‍यादा कल्‍पवासियों ने लगाई संगम में डुबकी!

MahaKumbh 2025, Basant Panchami Amrit Snan : महाकुंभ 2025 में बसंत पंचमी का अमृत स्नान सोमवार देर रात से ही चल रहा है। मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ से सीख लेते हुए इस बार सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद लखनऊ स्थित अपने आवास में बने वॉर रूम से सुबह तीन बजे से ही निगरानी कर रहे हैं। उनके साथ डीजीपी प्रशांत कुमार व अन्य अधिकारी भी मौजूद हैं। इस बीच महाकुंभ में हेलीकॉप्टर से नागा साधुओं व आम श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई है।

महाकुंभ में 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। MahaKumbh 2025

प्रयागराज में संगम तट पर कल्पवासी कल्पवास कर रहे हैं। जो पूरे माघ माह में नियमित रूप से गंगा स्नान व व्रत रखते हैं। महाकुंभ में बसंत पंचमी के स्नान का विशेष महत्व है। कल्पवासियों ने नियमित रूप से मौन व्रत रखकर ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान किया। महाकुंभ के विशाल मेला क्षेत्र के विभिन्न सेक्टरों में बसे कल्पवासी सुबह से ही पैदल ही संगम तट पर आ रहे थे। उन्होंने करोड़ों श्रद्धालुओं और संन्यासियों के अखाड़ों के साथ अमृत स्नान किया।

भगदड़ की घटना के बाद संतों ने अमृत स्नान की व्यवस्थाओं की सराहना की।

महाकुंभ 2025 में बसंत पंचमी के अवसर पर अखाड़ों के भव्य अमृत स्नान के बीच सोमवार को त्रिवेणी संगम तट पर संतों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। देश भर के प्रमुख संतों ने इस अवसर पर की गई व्यवस्थाओं के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की। यह अमृत स्नान मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के दौरान हुई भगदड़ की घटना के बाद हो रहा है। मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ की घटना में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 घायल हो गए थे।

साधना की यह कठिन परंपरा वैष्णव अखाड़ों में खालसा के संतों के बीच है।

वैष्णव अखाड़े के खालसा में इस अग्नि स्नान साधना की परंपरा है जो अत्यंत त्याग और संयम की स्थिति में पहुंचने के बाद की जाती है। श्री दिगंबर अनी अखाड़े के महंत राघव दास बताते हैं कि अग्नि साधना वैष्णव अखाड़ों के प्रमुख अखाड़े दिगंबर अनी अखाड़े के अखिल भारतीय पंच तेरह भाई त्यागी खालसा के साधकों की विशेष साधना है। यह साधना अठारह वर्षों तक चलती है। इस अनुष्ठान को संपन्न करने के पीछे उद्देश्य सिर्फ साधना का उद्देश्य पूरा करना ही नहीं होता बल्कि साधु की क्षमता और सहनशीलता को परखना भी होता है। लगातार 18 वर्षों तक साल के 5 महीने इस कठोर तप को करने के बाद उस साधु को वैरागी की उपाधि मिलती है।

तपस्वी नगर में पंच धुनी तपस्या की शुरुआत | MahaKumbh 2025

कुंभ क्षेत्र जप, तप और साधना का क्षेत्र है, जिसके हर कोने में कोई न कोई साधक अपनी साधना में लीन नजर आ जाएगा। महाकुंभ के तपस्वी नगर में बसंत पंचमी से एक खास तरह की साधना शुरू हो गई है, जिसने श्रद्धालुओं में खासी उत्सुकता पैदा कर दी है। इस साधना को पंच धुनी तपस्या कहते हैं जिसे आम श्रद्धालु अग्नि स्नान साधना के नाम से भी जानते हैं। इस साधना में साधक अपने चारों ओर जलती हुई अग्नि के कई घेरे बनाता है और उनके बीच में बैठकर अपनी साधना करता है। ये तपस्वी उस अग्नि से कई गुना अधिक गर्मी के घेरे में बैठकर अपनी साधना करते हैं जिसकी हल्की सी लौ से इंसान की त्वचा जल जाती है।

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