14 सिंतबर से मानसून की होगी वापसी, जाने भारत में कैसे होती है बादलों की विदाई

वेदर न्यूज। भारत में मानसून के वापसी का समय अब आ गया है। मौसम विभाग के जानकारों के अनुसार बारिश के बाद मानसून अक्टूबर में भारत से वापस लौटते है। यह प्रक्रिया मध्य सितंबर में उत्तर-पश्चिमी राज्यों से शुरू होकर अक्टूबर के मध्य तक पूरे प्रायद्वीप के उत्तरी भाग से हट जाती है, जिसके बाद प्रायद्वीप के दक्षिणी भाग में वापसी तेजी से होती है और दिसंबर की शुरुआत तक मानसून देश के अन्य हिस्सों से पूरी तरह से वापस चला जाता है। इस दौरान, हवाएं स्थल से समुद्र की ओर बहने लगती हैं, और बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर दक्षिण-पूर्वी तट पर वर्षा लाती हैं, जो तमिलनाडु जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण होती है।

14 सितबर से राजस्थान के रास्ते वापसी

आमतौर पर अक्टूबर में उमस कम होती है, लेकिन इस बार सितंबर के तीसरे सप्ताह से ही राहत मिलने लगेगी। मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल मानसून की वापसी 14 सितंबर से राजस्थान के रास्ते संभावित है। मौसम विभाग के अनुसार, पिछले साल 2024 में मानसून की वापसी 23 सितंबर को हुई थी।

ऐसी होती है मानसून के वापसी की गतिविधि

लौटते हुए मानसून के दौरान, भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर दबाव का क्षेत्र बदलता है, जिससे हवाएं स्थल से समुद्र की ओर बहने लगती हैं। बादल छंटने लगते हैं और आसमान साफ हो जाता है, जिससे दिन के समय तापमान में गिरावट आने लगती है और दैनिक तापमान सीमा बढ़ जाती है। चूंकि हवाएं बंगाल की खाड़ी के ऊपर से गुजरती हैं, वे कुछ नमी साथ ले जाती हैं, जिससे तमिलनाडु, दक्षिणी आंध्र प्रदेश और श्रीलंका के कुछ हिस्सों में वर्षा होती है। लौटते हुए मानसून की अवधि अक्टूबर से दिसंबर तक होती है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून के कमजोर पड़ने के साथ शुरू होती है।

जाने भारत में कहा से लौटते है मानसून

भारत में मानसून कोरोमंडल तट से लौटता है, जहाँ इसे उत्तर-पूर्वी मानसून या लौटता हुआ मानसून भी कहते हैं, क्योंकि यह लौटते हुए दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाओं से होता है। यह लौटता हुआ मानसून अक्टूबर की शुरुआत में उत्तर-पश्चिमी भारत से शुरू होकर देश भर में दक्षिण की ओर बढ़ता है और दिसंबर की शुरुआत तक पूरे देश से विदा हो जाता है।

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