Mokshada Ekadashi 2025 : मोक्षदा एकादशी व्रत,भद्रा का समय व पौराणिक कथा-मोक्षदा एकादशी हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी व्रत माना जाता है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला यह व्रत मोक्ष, पाप-नाश और पुण्य लाभ प्रदान करने वाला माना गया है। 1 दिसंबर 2025 को मनाई जा रही मोक्षदा एकादशी पर इस वर्ष भद्रा का साया भी रह रहा है, जिसके कारण पूजा का शुभ समय शाम के बाद माना गया है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि इसके प्रभाव से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है, कुंडली में गुरु का बल बढ़ता है और संतान एवं विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।1 दिसंबर 2025 को मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी मनाई जा रही है। जानें भद्रा के समय पूजा-वर्जना, शुभ मुहूर्त, व्रत का महत्व और मोक्ष प्रदान करने वाली पौराणिक कथा विस्तार से।
मोक्षदा एकादशी 2025: भद्रा और शुभ समय
- भद्रा काल – सुबह 8:20 बजे से शाम 7:01 बजे तक
- भद्रा का वास – पृथ्वी लोक पर
- भद्रा में क्या न करें – पूजा, दान-पुण्य, धार्मिक अनुष्ठान
- शुभ पूजा समय – शाम 7:01 बजे के बाद से रात तक इस अवधि में पूजा, विष्णु सहस्रनाम पाठ और कथा श्रवण अत्यंत शुभ माना गया है।
व्रत का महत्व-मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से
- जीवन में पापों का क्षय होता है
- पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है
- नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है
- मन में शांति और आध्यात्मिक बल बढ़ता है
- ज्ञान, संतान सुख और वैवाहिक जीवन में सुधार होता है

मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा
प्राचीन समय में गोकुल नगर के राजा वैखानस धर्मप्रिय शासक थे। एक रात उन्हें बड़ा विचलित करने वाला सपना आया— उन्होंने देखा कि उनके दिवंगत पिता नरक में अत्यंत दुखों को सहते हुए उनसे उद्धार की प्रार्थना कर रहे हैं। यह दृश्य देखकर राजा का हृदय व्याकुल हो उठा। सुबह होते ही राजा ने नगर के विद्वान ब्राह्मणों को बुलाकर सपने का अर्थ पूछा। ब्राह्मणों ने बताया कि समीप ही पर्वत मुनि नाम के ज्ञानी ऋषि का आश्रम है, जो भूत, वर्तमान और भविष्य के जानकार हैं। वे ही इस समस्या का समाधान बता सकते हैं। राजा तुरंत आश्रम पहुंचे और अपना सपना सुनाया। मुनि ने ध्यान लगाया और कहा – “हे राजन! आपके पिता को पिछले जन्म के कर्मों के कारण नरकवास मिला है। यदि आप मोक्षदा एकादशी का विधिवत व्रत कर उसका पुण्य अपने पिता को अर्पित करेंगे, तो उन्हें मुक्ति मिलेगी।”राजा ने पर्वत मुनि के निर्देश का पूर्ण श्रद्धा से पालन किया। उन्होंने मोक्षदा एकादशी का उपवास रखा, ब्राह्मणों को भोजन कराया, दान-दक्षिणा दी और वस्त्र वितरित किए। व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को नरक से मुक्ति मिली और उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ। इसलिए माना जाता है कि जो भी भक्त इस एकादशी का व्रत करता है, उसे मोक्ष और अज्ञानता से मुक्त होने की शक्ति प्राप्त होती है।
निष्कर्ष-मोक्षदा एकादशी केवल एक व्रत नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, पूर्वज उद्धार और आध्यात्मिक उत्थान का अवसर है। 2025 में भद्रा के कारण पूजा का समय भले ही शाम के बाद शुभ माना गया हो, लेकिन श्रद्धा से किया गया यह व्रत साधक को दिव्य फल देता है। भगवान विष्णु की कृपा से मनुष्य के जीवन में शांति, सकारात्मकता और मोक्ष की राह प्रशस्त होती है।
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