Mohan Bhagwat On Ram Mandir: अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर की कानूनी लड़ाई तुष्टिकरण की राजनीति के कारण लम्बी चली. अब राम मंदिर को लेकर जो भी पुराने विवाद और खटास है उसे खत्म कर देना चाहिए।
21 जनवरी यानी की आज मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का एक मराठी भाषा में लेख पब्लिश हुआ है जिसमे उन्होने भारत पर हुए पिछले 1500 साल में हुए हमले का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि इस्लाम के नाम पर जो आक्रमण हुए उससे समाज में अलगाव बढ़ा.
इस आर्टिकल में उन्होंने मंदिर के लिए चले लंबे संघर्ष के अलग-अलग चरणों को याद किया। साथ ही उन्होंने भगवान राम के आचरण को अपने जीवन में उतारने का आहवाह्न किया।
1500 साल में भारत को अस्थायी करने की कोशिश
मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अपने इस आर्टिकल में लिखा कि 1500 साल पहले शुरू हुए मुग़ल आक्रमण का उद्देश्य सिर्फ देश में लूटपाट करना था. बाद में इस्लाम के नाम पर भारत में अलग-अलग जगह पर आक्रमण हुए, जिसने हमारे देश के समाज में अलगाव बढ़ाया। हमारे कई धार्मिक स्थलों को नष्ट किया गया. ऐसा एक बार नहीं ऐसा बार-बार हुआ. इन सबके बावजूद भी भारत में प्रभु श्री राम के लिए कभी आस्था निष्ठा कभी कम नहीं हुआ. इतना कुछ होने के बावजूद लोगों के मन में राम मंदिर का मुद्दा बना रहा.
अंग्रेज़ों ने हमे हिन्दू मुसलमान में बांटा
अंग्रेज़ो ने जब तक भारत में राज किया उसने ‘फुट डालो राज करो’ के निति पर कार्य किया। लेकिन इन सबके बावजूद भी लोगों ने रामजन्म भूमि का मुद्दा कभी नहीं छोड़ा।हमारे बीच के एकता को तोड़ने के लिए अंग्रेज़ो ने संघर्ष के नायकों को अयोध्या में फांसी के फंदे पर लटका दिया।
आजादी के बाद देश की राजनीति की दिशा बदल गई. भेदभाव और तुष्टिकरण के कारण उसद वक्त की सरकारों ने राम भक्तों के मन की बात पर विचार नहीं किया। यही कारण रहा कि कानूनी लड़ाई लम्बी चलती रही. आखिरकार इस मुद्दे के लिए जान आंदोलन हुआ जो 30 सालों तक चलता रहा.