Modi Sarkar 3.0 : NDA में विचारों का मतभेद, गठबंधन से कैसे पूरे होंगे BJP के 3 प्रॉजेक्ट ?

Modi Sarkar 3.0 : लोकसभा चुनाव खत्म हुआ, अब 9 जून को नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार बनाएंगे। मगर इस बीच सबसे बड़ी चर्चा बीजेपी के तीन बड़े प्रोजेक्ट की हो रही है। ये वही तीन प्रोजेक्ट हैं, जिसपर बीजेपी ने पूरा चुनाव लड़ा। अब बीजेपी के राजनीतिक एजेंडा सेटिंग पर ही संकट खड़ा हो गया है। इस बार केंद्र में नरेंद्र मोदी दिखाई तो देंगे लेकिन सरकार NDA गठबंधन की बन रही है। NDA गठबंधन की सरकार में TDP और JDU संकटमोचक बनकर खड़े हैं। वास्तव में एनडीए के ये दोनों संकटमोचक बीजेपी के एजेंडे में बड़ी बाधा हैं। इसके आलावा भी कुछ छोटे दल बीजेपी की रणनीति के खिलाफ दिखाई देते रहें हैं।

क्या NDA पूरा करेगा बीजेपी के 3 प्रॉजेक्ट (Modi Sarkar 3.0)

रविवार, 9 जून को नरेंद्र मोदी (PM Modi Oath) तीसरी बार प्रधानमंत्री (Modi Sarkar 3.0) पद की शपथ लेंगे। एनडीए के सभी दलों ने उन्हें अपना नेता चुन लिया है। मगर, क्या सभी दलों ने मोदी सरकार के तीन मुख्य राजनीतिक एजेंडे को भी स्वीकार किया है ? इस सवाल का जवाब है ‘ना’। बीजेपी के तीन प्रमुख मुद्दे यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड, अग्निवीर योजना और मुस्लिम आरक्षण को खत्म करना है। ये ऐसे बीजेपी के प्रोजेक्ट हैं जिनसे बीजेपी कभी समझौता करने के लिए तैयार नहीं हो सकती। पिछले 10 सालों से बीजेपी इसी रणनीति पर काम कर रही है। या यूँ कहें ये प्रोजेक्ट नहीं बीजेपी के तीन सपने हैं।

अग्निवीर के संकट से कैसे निकलेगी भाजपा

दरअसल, जेडीयू और टीडीपी ने एनडीए सरकार के समर्थन के लिए कुछ ऐसी मांगे रखी है, जो बीजेपी के मार्ग का कांटा बन गई है। बात मंत्रालय मांगने तक तो ठीक थी, लेकिन जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ-साथ अग्निवीर योजना पर पुनर्विचार की शर्त भी रख दी। यह वही बीजेपी की अग्निवीर योजना है, जिसका विरोध विपक्षी दलों के साथ देश के युवाओं ने आक्रामक तरीके से किया था। उस विरोध में पूरा देश जल रहा था। इसके बाद भी बीजेपी ने इस योजना पर अपना फैसला नहीं बदला था। अब नीतीश ने बीजेपी की इस योजना पर विचार करने को कहा है। यह भाजपा को बिलकुल भी पसंद नहीं आया। अग्निवीर योजना का जिक्र भले ही नीतीश कुमार ने अकेले किया हो, मगर यह ऐसा विषय है जिसकी खिलाफत एनडीए के कई दल करते हैं।

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क्या मुस्लिम आरक्षण देगी नई मोदी सरकार

वहीं, एनडीए को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने से पहले तेलगु देशमुख पार्टी (TDP) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी अजीब शर्त रखी है। उन्होंने मोदी सरकार से आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ मुस्लिम आरक्षण की भी मांग की है। यह बीजेपी का ऐसा विषय है जिसकी इस लोकसभा चुनाव में खूब चर्चा रही। इस चुनाव के प्रचार में नरेंद्र मोदी ने खूब हिन्दू-मुस्लिम किया। यही नहीं कांग्रेस पर मुस्लिम आरक्षण लागू करने का भी आरोप लगाया था। अब ऐसे में अगर बीजेपी चंद्रबाबू की मांग पूरा करती है तो पार्टी अपने ही एजेंडे के खिलाफ खड़ी नजर आएगी। इसलिए यह तो तय है कि बीजेपी मुस्लिम आरक्षण पर कोई खेला जरूर खेलेगी।

सहयोगी दलों की सहमति से चलेगी बीजेपी

एनडीए गठबंधन की सरकार में में यह भी देखना होगा कि बीजेपी सरकार अपनी ही रणनीति पर सरकार चलाएगी या सभी दलों की सहमति लेगी। अगर बीजेपी अपने हर निर्णय पर सभी दलों की सलाह लेती है तो बीजेपी का तीसरा प्रोजेक्ट ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर क्या सभी की सहमति बनेगी। बता दें कि ‘एक देश, एक चुनाव’ भी बीजेपी का प्रोजेक्ट है। इसे बीजेपी ने चुनावी रैलियों में खूब इस्तेमाल किया।

एनडीए सरकार में कैसे बंटेंगे मंत्रालय (Modi Sarkar 3.0)

एनडीए गठबंधन के नेतृत्व में मोदी सरकार (Modi Sarkar 3.0) में सबसे बड़ी समस्या मंत्रालय के बाँटवारे की है। नीतीश कुमार और चन्द्रबाबू नायडू पहले ही अपने मंत्रालय की लिस्ट अमित शाह और जेपी नड्डा को थमा चुके हैं। नीतीश ने जहां रेल मंत्रालय सहित हर तीन सांसद पर एक मंत्रालय मांगा तो चंद्रबाबू ने लोकसभा स्पीकर सहित कुल 6 बड़े मंत्रालय मांग लिए।

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हालांकि बीजेपी ने इन दोनों नेताओं को साफ कर दिया है कि लोकसभा स्पीकर पद, गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालय छोड़ कर कोई भी मंत्रालय मिल जाएगा। यही नहीं अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया है कि हर पांच सांसद पर एक मंत्रालय दिया जाएगा। यहां बता दें कि नीतीश के जदयू के 12 सांसद हैं और चंद्रबाबू की टीडीपी के 16 सांसद हैं। जबकि खुद बीजेपी में 240 सांसद हैं। ऐसे में बीजेपी जदयू को दो मंत्रालय और टीडीपी को तीन मंत्रालय ही देगी।

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