Modi Govt’s AC Temperature Regulation 20 28°C Limit: मोदी सरकार जल्द ही एक नया नियम लागू करने वाली है, जिसके तहत सभी नए एयर कंडीशनर (Air Conditioners) का तापमान न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 28 डिग्री सेल्सियस के बीच सीमित होगा। केंद्रीय ऊर्जा और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह नियम घरों, ऑफिसों, होटलों और यहां तक कि वाहनों में लगे AC पर भी लागू होगा। इस फैसले का उद्देश्य ऊर्जा संरक्षण (Energy Conservation) और पर्यावरण संतुलन (Environmental Balance) को बढ़ावा देना है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह नियम जमीनी स्तर पर प्रभावी होगा या सिर्फ एक विवादास्पद निर्णय साबित होगा?
नियम के पीछे का कारण
Reasons Behind the AC Temperature Regulation: सरकार का कहना है कि AC का तापमान 20 डिग्री से नीचे सेट करने से बिजली की खपत (AC Electricity Consumption Below 20 Degree Celsius) में 6% तक की वृद्धि होती है। भारत में हर साल करीब 1.5 करोड़ नए AC बिकते हैं, और वर्तमान में देश में 10 करोड़ AC उपयोग में हैं। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (Bureau of Energy Efficiency) के अनुसार, तापमान को 20 डिग्री से बढ़ाकर 24 डिग्री करने पर 24% तक बिजली की बचत हो सकती है। यह नियम निम्नलिखित कारणों से लाया जा रहा है:
- ऊर्जा बचत: भारत में गर्मियों में बिजली की मांग (Power Demand) चरम पर पहुंच जाती है। 9 जून 2025 को देश में 241 गीगावाट की रिकॉर्ड मांग दर्ज की गई। AC की अधिक खपत से पावर ग्रिड (Power Grid) पर दबाव पड़ता है, जिसे कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
- पर्यावरण संरक्षण: कम बिजली खपत से कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emissions) में कमी आएगी। सरकार का दावा है कि अगर आधे AC उपयोगकर्ता इस नियम का पालन करें, तो सालाना 8.2 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम हो सकता है।
- स्वास्थ्य लाभ: विशेषज्ञों के अनुसार, 24-25 डिग्री तापमान मानव शरीर के लिए आरामदायक और स्वस्थ है। बहुत कम तापमान से त्वचा, श्वसन तंत्र, और थर्मल रेगुलेशन (Thermal Regulation) पर बुरा असर पड़ सकता है।
- आर्थिक बचत (Economic Savings): सरकार का अनुमान है कि इस नियम से तीन साल में उपभोक्ताओं के 18,000-20,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है, क्योंकि बिजली बिल (Electricity Bills) में कमी आएगी।
क्या होगा जमीनी असर?
इस नियम के समर्थक इसे ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency) और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम मानते हैं। उनका कहना है कि भारत जैसे देश में, जहां AC की मांग 2030 तक 200 गीगावाट तक पहुंच सकती है, यह नियम बिजली संकट (Power Crisis) को कम करने में मदद करेगा। साथ ही, यह उपभोक्ताओं को जिम्मेदार ऊर्जा उपयोग (Responsible Energy Use) के लिए प्रेरित करेगा।
हालांकि, आलोचकों का मानना है कि यह नियम कई चुनौतियां पेश कर सकता है:
- उपभोक्ता की आजादी पर सवाल: कई लोग इसे निजी पसंद पर सरकारी हस्तक्षेप (Government Interference) मान रहे हैं। खासकर गर्म और आर्द्र क्षेत्रों में, जहां 20 डिग्री भी पर्याप्त ठंडक नहीं देता, उपभोक्ता असहज महसूस कर सकते हैं।
- लागत और तकनीकी बदलाव: AC निर्माताओं को अपने उपकरणों को नए मानकों के अनुसार प्रोग्राम करना होगा, जिससे अनुसंधान और विकास (R&D Expenses) की लागत बढ़ेगी। इससे AC की कीमतों (AC Prices) में वृद्धि हो सकती है।
- अमल में कठिनाई: नियम का पालन सुनिश्चित करना, खासकर निजी घरों और छोटे व्यवसायों में, मुश्किल होगा। साथ ही, पुराने AC पर यह नियम लागू नहीं होगा, जिससे इसका प्रभाव सीमित रह सकता है।
- वैश्विक तुलना में सख्ती: जापान में AC का डिफॉल्ट तापमान 28 डिग्री और इटली में 25 डिग्री है, लेकिन ये नियम ज्यादातर सार्वजनिक स्थानों पर लागू हैं। भारत का नियम निजी घरों और वाहनों तक लागू होने के कारण अधिक सख्त है, जिससे जनता में असंतोष बढ़ सकता है।
बेवकूफी भरा फैसला या जरूरी कदम?
कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इस नियम को “बेवकूफी भरा” करार दिया, उनका तर्क है कि भारत जैसे गर्म देश में 20 डिग्री की न्यूनतम सीमा अव्यावहारिक है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि यह नियम तकनीकी और पर्यावरणीय दृष्टि से उचित है, बशर्ते इसे ठीक से लागू किया जाए। उदाहरण के लिए, जापान की “कूल बिज” पहल (Cool Biz Campaign) ने ऊर्जा बचत में सफलता पाई, लेकिन वहां नियम सख्ती के बजाय प्रोत्साहन पर आधारित था।
अगर सरकार उपभोक्ताओं को जागरूक करने और निर्माताओं को प्रोत्साहन देने पर ध्यान दे, तो यह नियम प्रभावी हो सकता है। लेकिन अगर इसे जबरन लागू किया गया, तो यह विवाद का कारण बन सकता है। फिलहाल, सरकार निर्माताओं और ऑटोमोटिव उद्योग के साथ चर्चा कर रही है, और जल्द ही इसकी गाइडलाइंस (Guidelines) जारी की जाएंगी।
20-28 डिग्री का तापमान नियम ऊर्जा बचत, पर्यावरण संरक्षण, और स्वास्थ्य के लिहाज से एक सकारात्मक कदम हो सकता है, लेकिन इसका सफल होना लागू करने की रणनीति (Implementation Strategy) और जनता के सहयोग पर निर्भर करेगा। यह देखना बाकी है कि क्या यह नियम भारत की गर्मी में राहत देगा या सिर्फ एक और सरकारी फरमान बनकर रह जाएगा।