Indus Water Treaty : नेहरू-अयूब खान के 64 साल पुराने समझौते पर मोदी सरकार ने लिया फैसला, अब पानी की बूंद बूंद को तरसेगा पाकिस्तान।

Indus Water Treaty : भारत ने दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। भारत ने इस समझौते में बदलाव की मांग उठाई है। भारत ने पाकिस्तान से दो टूक कहा है कि सिंधु जल संधि की समीक्षा करना जरूरी है।

भारत ने नोटिस भेजा।

सूत्रों की माने तो 30 अगस्त को पाकिस्तान को नोटिस जारी किया गया है। समझौते के लिए जो कारण बताए गए हैं, उनमें जनसंख्या में बदलाव, पर्यावरण संबंधी मुद्दे और भारत के उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाने की जरूरत शामिल है। भारत ने कहा कि समझौते के बाद से हालात काफी बदल गए हैं।

आतंकवाद भी एक वजह है। Indus Water Treaty

भारत ने समीक्षा के पीछे सीमा पार से चल रही आतंकी गतिविधियों को भी वजह बताया है। भारत ने कहा कि आतंकवाद की वजह से संधि के सुचारू संचालन में बाधा आ रही है। समझौते के बाद से एकतरफा संधि चल रही है। समझौते के बाद काफी कुछ बदल गया है। आबादी बढ़ गई है। खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत है। साथ ही स्वच्छ ऊर्जा के लिए भी पानी की जरूरत है।

सिंधु जल संधि क्या है?

भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में इस पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों रावी, व्यास और सतलुज का नियंत्रण मिला, जबकि पाकिस्तान को चिनाब, झेलम और सिंधु इन 3 नदियों का नियंत्रण मिला।

दोनों देशों के बीच क्या विवाद है?

दोनों देशों के बीच पानी को लेकर विवाद 1947 में आजादी के बाद से ही शुरू हो गया था। दरअसल सिंधु जल प्रणाली जिसमें सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलुज नदियां शामिल हैं, भारत और पाकिस्तान दोनों में बहती है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत इन नदियों पर बांध बनाकर पानी का दोहन करता है और उसके इलाके में कम पानी आने की वजह से सूखे के हालात हैं।

जवाहरलाल नेहरू और अयूब खान ने हस्ताक्षर किए। Indus Water Treaty

भारत और पाकिस्तान के बीच इस संधि पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने अपने हस्ताक्षर किए थे। संधि की शर्तें 12 जनवरी 1961 से लागू हुईं। संधि के तहत भारत से पाकिस्तान में बहने वाली 6 नदियों के पानी का बंटवारा तय किया गया।

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