Modi Government Caste Census: विपक्ष एक बात हमेशा कहता है ‘सरकार तुम्हारी है मगर सिस्टम हमारा है’ ये बात सच हो गई है. जहां देश को NRC की जरूरत है, CAA की जरूरत है वहां केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना (Caste Based Census) कराने का फैसला किया है. जाती आधारित जनगणना कभी बीजेपी के एजेंडे में नहीं था ये लोकसभा और विधान सभा चुनावों में हमेशा से कांग्रेस के मेनिफेस्टो का हिस्सा रहा है. बीजेपी ने बल्कि जातिआधारित जनगणना की मांग का विरोध ही किया था मगर आज उसी सरकार ने कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल जातिगत जनगणना का आदेश जारी कर दिया।
राहुल गांधी ने संसद में पीएम मोदी और NDA सरकार को यह खुला चैलेंज दिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए सरकार को जातिगत जनगणना करवानी ही पड़ेगी। और आज राहुल की बात सच हो गई. अब भाजपाई इसे भले बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक बोलें भले ये कहें कि बीजेपी ने राहुल गांधी का मुद्दा छीन लिया लेकिन आखिरकार हुआ वही जो विपक्ष चाहता था। देश को जाति में बांटो और राज करो.
केंद्र सरकार कराएगी जातिगत जनगणना
Central government will conduct caste census: केंद्र सरकार Caste Census करवाएगी यह फैसला बुधवार को कैबिनेट बैठक (Cabinmate Meeting) में लिया गया. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि जाति जनगणना, मूल जनगणना में ही शामिल होगी। जनगणना इस साल सिंतबर से शुरू की जा सकती है। इसे पूरा होने में कम से 2 साल लगेंगे। ऐसे में अगर सितंबर में भी जनगणना की प्रक्रिया शुरू हुई तो अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में आएंगे।
सरकार ने क्या कहा? केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने कहा, ‘1947 से जाति जनगणना (caste census) नहीं की गई। मनमोहन सिंह ने जाति जनगणना की बात कही थी। कांग्रेस ने जाति जनगणना की बात को केवल अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है। जाति जनगणना केवल केंद्र का विषय है। कुछ राज्यों ने यह काम सुचारू रूप से किया है। हमारा सामाजिक ताना-बाना प्रभावित न हो, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं।’
2021 में जनगणना को कोविड-19 महामारी के कारण टाल दिया गया था। जनगणना आमतौर पर हर 10 साल में की जाती है, लेकिन इस बार थोड़ी देरी हुई है। इसके साथ ही जनगणना का चक्र भी बदल गया है यानी अगली जनगणना 2035 में होगी।
फिर डेटा सार्वजनिक करने का प्रेशर होगा
जब केंद्र सरकार की जाति आधारित जनगणना पूरी हो जाएगी तब विपक्ष डेटा सार्वजनिक करने के लिए कहेगा। फिर असली खेल शुरू होगा। यह मांग की जाएगी कि अब जिस जाति के जितने लोग हैं उसी हिसाब से रिजर्वेशन हो. मैरिट सिस्टम की बलि चढ़ जाएगी और जाति आधारित आरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। राजनीतिक पार्टियां बहुल जाति के तुष्टिकरण के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने का काम करेगीं।