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One Nation One Election : एक राष्ट्र एक चुनाव को मिली मंजूरी, क्या चुनाव पर पड़ेगा असर? 

One Nation One Election : लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान पीएम मोदी और अमित शाह ने कई बार एक राष्ट्र एक चुनाव का जिक्र किया था। जिसपर काफी समय तक विवाद हुआ। आज भाजपा के अथक प्रयास के बाद एक राष्ट्र एक चुनाव को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए बनी कमेटी ने 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद अब लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित होंगे। आईये जानते हैं कि एक राष्ट्र एक चुनाव से आम चुनावों पर कितना प्रभाव पड़ेगा।

एक राष्ट्र एक चुनाव को मिली मंजूरी (One Nation One Election)

भाजपा की विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने की राह अब आसान हो गई है। आज बुधवार को मोदी कैबिनेट में एक राष्ट्र एक चुनाव को मंजूरी मिल गई। एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संकेत दिया था कि अब देश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होंगे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक देश एक चुनाव के लिए कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही एक राष्ट्र एक चुनाव के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है।

18 हजार 626 पन्नों की है रिपोर्ट

एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। कमेटी ने यह रिपोर्ट वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इसी साल 14 मार्च को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर एक राष्ट्र एक चुनाव को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी है। अब शीतकालीन सत्र में मौजूदा एनडीए सरकार यह बिल संसद में पेश करेगी।

बार-बार चुनाव से देश की प्रगति में बाधा – मोदी

गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation One Election) के लिए लगातार काम कर रही थी। मोदी सरकार अपने पिछले कार्यकाल से ही एक देश एक चुनाव को गंभीर थी। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अपने लोकसभा चुनाव के प्रचार में इसकी चर्चा की थी। फिर चाहे वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो, गृहमंत्री अमित शाह या पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा हो, सभी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव को एक साथ कराने का जिक्र बार-बार किया। पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से दिए गए भाषण में भी भाजपा के इस संकल्प को दोहराया था। पीएम मोदी ने कहा था कि देश में बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न करते हैं।

क्या होगा एक राष्ट्र एक चुनाव का प्रभाव (One Nation One Election)

भारत देश में प्रधानमंत्री का कार्यकाल पांच साल के लिए होता है। इसके साथ ही सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्री के कार्यकाल की अवधि भी पांच साल के लिए निर्धारित है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री, दोनों के हो कार्यकाल को बीच में समाप्त नहीं किया जा सकता है, जब तक किसी कारण से केंद्र सरकार गिर नहीं जाती। ऐसी स्थिति में अन्य पार्टी को बहुमत हांसिल करने का मौका दिया जाता है और पीएम कार्यकाल के पूरा होने के बाद पुनः निर्धारित समय पर लोकसभा चुनाव होते हैं। यही नियम राज्य के मुख्यमंत्री के कार्यकाल का भी रहता है। यानी जब तक राज्य सरकार का कार्यकाल पूरा नहीं होगा तब तक उस राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं होंगे। सभी राज्यों में सरकार के कार्यकाल की अवधि अलग-अलग होती है। अब इस स्थिति में सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराना संभव नहीं हो पाएगा। इससे यह तो साफ है कि एक राष्ट्र एक चुनाव का आम चुनावों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

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