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Modi cabinet 2024 : क्यों खास है लोकसभा स्पीकर ? ‘जब TDP के स्पीकर ने गिरा दी बाजपेयी सरकार…’

Lok Sabha Speaker : देश में तीसरी बार प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने वाले नरेंद्र मोदी के केंद्रीय मंत्रिपरिषद (Modi cabinet 2024) का गठन हो गया है। मोदी की नई टीम में इस बार 72 सांसदों को जगह दी गई है। इनमें एक भी मुस्लिम सांसद को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। कैबिनेट मंत्रियों में ओबीसी, एसटी और एससी को मौका दिया गया है। कैबिनेट मंत्रिमंडल के सभी सांसदों ने केंद्रीय मंत्री पद की शपथ ले ली है। हालांकि अभी तक मंत्रालय का बंटवारा नहीं हुआ है। इस बीच लोकसभा स्पीकर पद को लेकर खींचातानी शुरू हो गई है। टीडीपी पहले ही इस पद की मांग कर चुकी है, जिसपर भाजपा ने असहमति भी जताई है। आखिर लोकसभा स्पीकर का पद इतना महत्वपूर्ण क्यों है और क्यों हर दल इसे पाना चाहता है ?

आज होगा मंत्रलयों का बंटवारा (Modi cabinet 2024)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट मंत्रियों की शपथ के बाद मंत्रालयों (Modi cabinet 2024) के बंटवारे पर सबकी नजर टिकी हुई है। आज सोमवार की शाम को एनडीए के सभी दलों के साथ कैबिनेट बैठक होनी है। जिसके बाद यह तय हो जाएगा कि किसे कौन-सा विभाग मिलेगा। गौरतलब है कि एनडीए की सरकार बनाने में बिहार की जदयू और आंध्र प्रदेश की टीडीपी की मुख्य भूमिका है। इन दोनों ही दलों ने बड़े और अहम मंत्रालयों की मांग रखी है। इनमें रेल मंत्रालय, शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्त मंत्रालय शामिल हैं।

बीजेपी ने सुरक्षित रखे खास विभाग (Modi cabinet 2024)

एनडीए की संयोजक पार्टी बीजेपी के पास 240 सांसद हैं। इनमें 33 बीजेपी सांसदों को कैबिनेट में (Cabinet ministers of India 2024) जगह दी गई है। इसके अलावा कुछ इस बार लोकसभा चुनाव में हारे सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। ऐसे में भाजपा अपने पुराने और खास मंत्रालयों को अपने पास ही रखेगी। गृह मंत्रालय अमित शाह, रक्षा मंत्रालय राजनाथ सिंह, वित्त मंत्रालय निर्मला सीतारमण और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय बीजेपी ने सुरक्षित रख लिए हैं। इस बार जगत प्रकाश नड्डा ने भी केंद्रीय मंत्री पद की शपथ ली है। ऐसे में उन्हें कोई बड़ा पद मिलना तय है।

लोकसभा स्पीकर पद पर खींचातानी

इस बार पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की वजह से बीजेपी की अपनी सरकार नहीं बन पाई है। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन की सरकार (Modi cabinet 2024) बन चुकी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि लोकसभा में स्पीकर का पद किसे मिलेगा। अभी तक सबसे पहले टीडीपी ने लोकसभा स्पीकर के पद की मांग की है। लेकिन बीजेपी ने साफ कहा है कि स्पीकर पद से कोई समझौता नहीं होगा। यानी बीजेपी लोकसभा स्पीकर का पद भी अपने पास ही रखेगी।

क्यों खास है लोकसभा स्पीकर पद (Lok Sabha Speaker)

लोकसभा में स्पीकर की भूमिका सबसे अहम होती है। स्पीकर को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में भी जाना जाता है। यह लोकसभा का एकमात्र सदस्य होता है जो संसद के अंदर की सभी गतिविधियों पर नियंत्रण रखता है। यहां तक की स्पीकर सांसदों की अयोग्यता के आधार पर उन्हें निलंबित करने से लेकर लोकसभा को भंग करने तक की क्षमता रखता है। इतिहास गवाह है कि लोकसभा स्पीकर की मनमानी की वजह से कई बार राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकारें भी गिर गईं। इनमें बाजपेयी सरकार का किस्सा कोई नहीं भूल सकता।

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स्पीकर से सत्ता पक्ष सांसदों पर बनाता है दबाव

लोकसभा अध्यक्ष व स्पीकर का पद जितना महत्वपूर्ण होता है उतना ही गैर-पक्षपाती होना जरूरी होता है। लेकिन बीजेपी सरकार में पिछले 10 सालों में यह कई बार देखा गया है कि स्पीकर ने पक्षपात करते हुए योग्य सांसदों का निलंबन किया। संसद में मनमाने तरीके से बिल पास कराने के लिए अक्सर केंद्र की पार्टी स्पीकर का इस्तेमाल करने लगी है। एक वाक्य सभी को याद होगा, जब कांग्रेस नेता संजीव रेड्डी को चौथी लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया था। मगर इस पद की गंभीरता और दबाव को देखते हुए उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।

TDP के स्पीकर ने गिराई थी बाजपेयी सरकार

साल 1998 में बीजेपी को बहुमत नहीं मिलने पर अटल बिहारी बाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने एनडीए गठबंधन बनाकर सरकार बनाई थी। उस समय एनडीए का हिस्सा टीडीपी ने लोकसभा स्पीकर पद मांग लिया था। तब सदन में टीडीपी लोकसभा अध्यक्ष के एक फैसले की वजह से गठबंधन में फूट पड़ गई थी। अन्नाद्रमुक की प्रमुख जयललिता ने एनडीए से समर्थन वापस ले लिया था। इस कारण अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार महज 13 महीने में ही गिर गई थी। यहीं कारण है कि इस बार भी टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने स्पीकर का पद मांगा है।

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