Modern tattoo artists: वक़्त बदला, ज़माना बदला, लेकिन कुछ कलाएं ऐसी हैं जो अपनी आत्मा में पुरानी होते हुए भी हर दौर में नई नज़र आती हैं उनमें से एक है प्राचीन ‘गोदना’ परंपरा। गोदना की प्राचीन काल से लेकर आज के स्टाइलिश टैटू डिजाइनों तक, शरीर पर चित्रांकन की यह परंपरा केवल फैशन नहीं बल्कि सांस्कृतिक अभिव्यक्ति बन चुकी है। आज के कई आधुनिक टैटू आर्टिस्ट्स न सिर्फ इस कला को नया जीवन दे रहे हैं, बल्कि इस लोककला के पारंपरिक डिजाइनों और भावों को वैश्विक मंच पर पहचान भी दिला रहे हैं।
टैटू से जुड़ी लोककला इतिहास की झलक
गोदना की विरासत – आदिवासी और ग्रामीण समाज में गोदना सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि सामाजिक पहचान, सौंदर्य और परंपरा का हिस्सा था।
प्रतीकात्मकता – हर डिज़ाइन का अपना अर्थ था जैसे वृक्ष, पक्षी, सूरज, देवी-देवताओं की आकृति आदि।
क्षेत्रीय विविधता – बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा की गोदना शैलियां अपनी-अपनी पहचान लिए हुए हैं और विशेष यह कि इनसे ही उनके भी पहचान बनी कि वो इस क्षेत्र के हैं।
आधुनिकता से मिली परंपरा
आज के कई टैटू आर्टिस्ट पारंपरिक गोदना शैलियों को डिजिटल रूप देकर उन्हें मॉडर्न टैटू डिजाइनों में ढाल रहे हैं। ये कलाकार ग्रामीण महिलाओं से डिज़ाइन सीखते हैं और लोककथाओं का अध्ययन करते हैं तब कहीं उन्हें टैटू आर्ट के ज़रिए जीवंत कर पाते हैं। कुछ आर्टिस्ट जनजातीय कला जैसे गोंड, मधुबनी, वरली और भील चित्रकला को भी टैटू में रूपांतरित कर रहे हैं।
कुछ प्रमुख टैटू आर्टिस्ट्स और उनके कार्य
मोक्ष टैटू स्टूडियो (मुंबई )
जहां लोककला आधारित टैटू की मांग लगातार बढ़ रही है।
आदिवासी टैटू को प्रमोट करने वाले कलाकार – जैसे दीपक चौधरी और सोनल मिश्रा जो गोंड और गोदना शैली के टैटू डिज़ाइन पर फोकस करते हुए अपनी भी अलग पहचान बना रहे हैं।
लोकल टू ग्लोबल मूवमेंट – कुछ कलाकार इंस्टाग्राम पर खासतौर से ‘फोक टैटू’ जैसी सीरीज़ चला रहे हैं जहां हर टैटू के साथ उसकी पारंपरिक कहानी भी सांझा की जाती है जो इस कला के संचार और संरक्षण का शानदार तरीका है।
क्यों ज़रूरी है लोककला आधारित टैटू आर्ट
यह एक सांस्कृतिक दस्तावेज़ है जिसे त्वचा पर लिखा जा रहा है। लोककला को युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाने का टैटू कला सशक्त माध्यम है।इन डिजाइनों में सिर्फ कला नहीं, संस्कृति, कहानी और पहचान भी छुपी होती है।
विशेष :- आधुनिक टैटू आर्टिस्ट्स आज कला के ज़रिए परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। ये न सिर्फ सुंदर चित्र बना रहे हैं, बल्कि हमारी जड़ों से हमें और नवीन पीढ़ी को जोड़ भी रहे हैं। उनके लिए टैटू सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि एक कलात्मक आंदोलन है जो बता रहा है कि लोककला कभी पुरानी नहीं होती, बस उसे समझने और सहेजने वाला नजरिया होना चाहिए।