Mobile Blue Light Harms : लोग आधुनिकता की ओर तेजी से भाग रहें हैं। डिजिटल युग में आज मोबाइल फोन किसी क्रांति से कम नहीं है। मोबाइल लोगों की जरूरत का सबसे अहम पार्ट बन चुका है। इसके बिना लोगों का काम कर पाना भी मुश्किल है क्योंकि मोबाइल में जरूरी कॉल के साथ जरूरी डॉक्यूमेंट होते हैं। लेकिन रोजाना मोबाइल के इस्तेमाल से सेहत पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। मोबाइल से निकलने वाली ब्लू लाइट त्वचा को को नुकसान पहुँचाती है। अगर आप भी अधिक समय तक मोबाइल हाथ में ही रखते हैं तो आपके लिए ब्लू लाइट के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानना जरूरी है।
ब्लू लाइट क्या होती है ? (Mobile Blue Light Harms)
High Energy Visible (HEV) लाइट को ब्लू लाइट कहते हैं। मुख्य तौर पर ब्लू लाइट सूरज की रौशनी में होती है। साथ ही मोबाइल फोन और कंप्यूटर की स्क्रीन से भी आर्टिफिशियल HEV लाइट निकलती है। आर्टिफिशियल ब्लू लाइट (Harms of Mobile Blue Light) से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। जैसे ही त्वचा ब्लू लाइट के संपर्क में आती है, तो स्किन के सेल्स डैमेज है जाते हैं। स्किन के सेल्स सिकुड़ने लगते हैं।
मोबाइल की ब्लू लाइट से डैमेज होती है त्वचा
आजकल हम मोबाइल फोन चलाने के आदी है चुके हैं। या यूं कहें कि बिना मोबाइल और कंप्यूटर के हमारा कोई भी काम पूरा नहीं है सकता है। ऐसे में ज्यादातर मोबाइल लोगों के हाथ में ही रहता है। मोबाइल और कंप्यूटर से निकलने वाली ब्लू लाइट (Mobile Blue Light Harms) सीधे आँखों पर पड़ती है। इससे आँखों को नुकसान पहुंचता है। वहीं कंप्यूटर और मोबाइल की स्क्रीन के सामने अधिक समय तक बैठने से ब्लू लाइट (Harms of Blue Light on Skin) आँखों के साथ त्वचा भी डैमेज कर देती है।
ब्लू लाइट से त्वचा को नुकसान (Side Effects of Blue Light on Skin)
ब्लू लाइट से जल्दी हो रहें बूढ़े
मोबाइल से निकलने वाली अप्राकृतिक ब्लू लाइट के दुष्प्रभाव के बारे में चिकित्सक का कहना है कि इससे एजिंग की प्रक्रिया तेजी से बढ़ती है। मोबाइल के इस्तेमाल के समय ब्लू लाइट (Mobile Blue Light Harms) त्वचा में सीधे पड़ती है और स्किन की भीतरी सतह में प्रवेश करती है। इस कारण त्वचा में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस रिलीज होता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ने से त्वचा के सेल्स डैमेज हो जाते हैं। जिससे त्वचा में कोलेजन और इलास्टिन फाइबर कम संख्या में बनते हैं। यही वजह है कि त्वचा में असमय ही झूर्रियाँ पड़ने लगती है और त्वचा ढीली पड़ जाती है। ये सभी प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षण हैं। यानी ब्लू लाइट आपको वक्त से पहले ही बूढ़ा बना रही है।
रंग सांवला करती है ब्लू लाइट (Mobile Blue Light Harms)
त्वचा में ब्लू लाइट पड़ने से मेलानिन का उत्पादन बढ़ जाता है। जिससे चेहरे पर पिग्मेंटेशन की समस्या हो जाती है। सामान्य स्थिति में मेलानिन त्वचा की सुरक्षा करता है। मगर जब मेलानिन की उत्पादक क्षमता बढ़ जाती है तो इसका त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। इस कारण त्वचा में हाइपरपिग्मेंटेशन, डार्क स्पॉट्स और असमान रंगत की समस्या हो जाती है।
स्किन बैरियर डैमेज करती है ब्लू लाइट
मोबाइल की ब्लू लाइट (Mobile Blue Light Harms) से स्किन बैरियर डैमेज हो जाता है। इससे स्किन ज्यादा संवेदनशील हो जाती है। सेंसिटिव त्वचा में सूजन, रुखापन, एक्ने और मेलाज्मा की समस्या हो जाती है। इससे त्वचा के सेल्स की ग्रोथ भी रुक जाती है। यानी अगर आपको चोट लगी है तो घाव के स्थान पर नई त्वचा नहीं बन पाती है।
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ब्लू लाइट से त्वचा को कैसे बचाएं
अगर आप ज्यादा मोबाइल के टच में रहते हैं तो मोबाइल में ब्लू लाइट स्क्रीन प्रोटेक्टर लगवाएं। इसके इस्तेमाल से स्क्रीन से ब्लू लाइट कम निकलती है।
इसके साथ ही मोबाइल में नाईट मोड की सेटिंग ऑन कर के ही फोन का इस्तेमाल करें। नाईट मोड ऑन होते ही मोबाइल की स्क्रीन से येल्लो लाइट निकलती है जो ब्लू लाइट के प्रभाव को कम करती है।
आँखों को मोबाइल की ब्लू लाइट से बचाने के लिए पोलराइज्ड सनग्लासेज का इस्तेमाल करें। इससे मोबाइल इस्तेमाल करते समय ब्लू लाइट आँखों पर नहीं पड़ेगी।
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