MidCap Funds: 2025 में जब बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया तब भी मिड-कैप स्टॉक्स ने निवेशकों को आकर्षित किया. अधिक रिटर्न के साथ-साथ मिड-कैप फंड्स ने रिस्क को भी बेहतर ढंग से संभाला है. जहां स्मॉल-कैप में इंस्टैबिलिटी ज़्यादा होती है और लार्ज-कैप में ग्रोथ लिमिटेड हो सकती है वहीं मिड-कैप सेगमेंट ग्रोथ और स्टेबिलिटी का बैलेंस देता है. खासतौर पर Pvt Banking, कंजम्पशन और टेक्नोलॉजी सेक्टर्स से जुड़े मिड-कैप फंड्स में इन्वेस्टर्स को अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं.
MidCap (मिड-कैप)
गौरतलब है कि, मिड-कैप कंपनियां स्केलेबल के साथ साथ मार्केट उतार-चढ़ाव में भी बेहतर प्रदर्शन करती हैं. निवेश के हिसाब से ये कंपनियां स्मॉल-कैप की तुलना में कम रिस्की होती हैं और लार्ज-कैप की तुलना में तेज़ ग्रोथ देती हैं. ऐसे में लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिए मिड-कैप फंड्स एक संतुलित ऑप्शन साबित हो सकते हैं. रिस्क को समझने के लिए स्टैण्डर्ड डिविएशन (SD), शार्प रेशियो और सॉर्टिनो रेशियो जैसे मापदंड उपयोग किए जाते हैं. ये बताते हैं कि किसी फंड का प्रदर्शन उसकी रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से कैसा रहा है. इससे इनवेस्टर्स को सिर्फ हाई रिटर्न वाले लेकिन अस्थिर फंड्स से बचने में मदद मिलती है.
फंड्स जो बने इन्वेस्टर्स की पसंद
HDFC Mid Cap Fund
HDFC MidCap Fund 2007 में लॉन्च हुआ, यह फंड मिड-कैप कंपनियों में निवेश करता है जो फंडामेंटली मजबूत हैं. पिछले 5 सालों में इसका रोलिंग CAGR 31.15% रहा है. SD 13.68, शार्प 0.42 और सॉर्टिनो 0.88 है. AUM 848.54 करोड़ है. प्रमुख होल्डिंग्स में मैक्स फाइनेंशियल, बालकृष्ण इंडस्ट्रीज, इंडियन बैंक हैं. बता दे सेक्टर्स में ऑटो 16.33%, बैंकिंग 13.35% और हेल्थकेयर 12.55% शामिल हैं.
Nippon India Growth Mid Cap Fund
1995 में शुरू हुआ यह फंड ग्रोथ-ओरिएंटेड है और भविष्य के लार्जकैप खोजता है. 5 साल का रोलिंग CAGR 31% से ऊपर है। SD 15.2, शार्प 0.37, सॉर्टिनो 0.74 है। AUM 393.28 अरब है. टॉप होल्डिंग्स में फोर्टिस हेल्थकेयर, BSE, चोलामंडलम फाइनेंशियल हैं.
Invesco India MidCap Fund
रिस्क मैनेजमेंट पर फोकस करता यह फंड ग्रोथ और वैल्यू का संतुलन रखता है. 5 साल का रोलिंग CAGR 30.95% है. प्रमुख सेक्टर्स फाइनेंशियल्स 21.14%, हेल्थकेयर 18.34% और रिटेल इसका 14% हैं। AUM 85.18 अरब है. होल्डिंग्स में Swiggy, AU Small Finance Bank, L&T फाइनेंस शामिल हैं.
निवेश के लिए स्मार्ट तरीका
आपको बता दें की जब भी Mid Cap Funds में इन्वेस्टमेंट करें उसके पहले सिर्फ रिटर्न ही नहीं बल्कि रिस्क फैक्टर्स को भी ज़रूर देख लें. शार्प और सॉर्टिनो जैसे मेट्रिक्स से यह पता चलता है कि फंड किस हद तक रिस्क उठाकर रिटर्न दे रहा है. इस तरह इन्वेस्टर्स हाई रिटर्न के चक्कर में रिस्की ऑप्शंस से बच सकते हैं और लॉन्ग टर्म वेल्थ ग्रोथ पा सकते हैं.
