Meera Bai Controversy: अर्जुन मेघवाल से भड़क गई राजपूत नेता

Rajput Community: केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की मीरा बाई पर टिप्पणी से राजपूत समाज में आक्रोश फैल गया है . उन्होंने कहा कि माफ़ी   शब्दों से नहीं मंदिर में दण्डवत  जाकर मांगनी चाहिए .

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Arjun Ram Meghwal:  केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की मीरा बाई के जीवन और परिवार पर की गई टिप्पणी ने राजपूत समाज में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है. राजपूत नेता और संगठनों ने मेघवाल की टिप्पणी को आपत्तिजनक बताते हुए उनसे सार्वजनिक माफी की मांग की है. साथ ही ये भी कहा है कि माफी केवल शब्दों से नहीं बल्कि मेघवाल को मीरा बाई के मेड़ता स्थित मंदिर में जाकर नाक रगड़कर और दण्डवत माफी मांगनी चाहिए. जानकारी के अनुसार युवा शक्ति संयोजन के प्रमुख शक्ति सिंह बांदी कुई ने इस माफी की शर्त रखी है.

आपको बता दे कि यह विवाद उस समय पैदा हुआ जब अर्जुन राम मेघवाल ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भक्त शिरोमणि मीरा बाई के जीवन से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों पर टिप्पणी की. मेघवाल ने मंच से कहा कि मीरा का जीवन उतना विवादित नहीं था जितना इतिहास में प्रस्तुत किया जाता है. उन्होंने ये भी कहा कि मीरा के पति के मरने के बाद उनके देवर ने उनसे शादी का प्रस्ताव दिया था जो उनके जीवन का अहम विवाद था. मेघवाल ने इस टिप्पणी को ऐतिहासिक तथ्यों पर संशोधन के रूप में प्रस्तुत किया.

राजपूत धर्म और संस्कृति का सम्मान जरूरी

इसके साथ ही राजपूत समाज ने मेघवाल की इस टिप्पणी को भद्दी और अपमानजनक मानते हुए उनके खिलाफ रोष व्यक्त किया है. कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने भक्त शिरोमणि मीरा बाई के लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल कर महापाप किया है. उनका मानना था कि मेघवाल ने भक्ति और संस्कृति का अपमान किया है और इसके परिणामस्वरूप उन्हें सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए. खाचरियावास ने ये भी आरोप लगाया कि मेघवाल ने इससे पहले बाबा साहब अंबेडकर का भी अपमान किया था.

राजपूत नेताओं का कहना है कि केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को ये समझना चाहिए कि उनके शब्दों से भारतीय संस्कृति, भक्ति और धर्म का अपमान हुआ है. एक और राजपूत नेता ने कहा कि मध्यकाल में विधवा महिलाओं का समाज में सम्मान था और वे या तो जोहर करतीं या फिर भक्ति में आत्मसात हो जाती थीं. उन्होंने मेघवाल से आग्रह किया कि उन्हें अपनी टिप्पणियों पर पुनर्विचार करना चाहिए और क्षत्रिय धर्म का सम्मान करना चाहिए.

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