भाषा ज्ञान के मार्ग में बाधक नहीं बने इस सोच का सफल क्रियान्वयन है “हिंदी में एमबीबीएस”

भोपाल। भाषा ज्ञान के मार्ग में बाधक नहीं बने इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रयासरत है। हिंदी भाषा में एमबीबीएस की व्यवस्था इसी सोच का सफल क्रियान्वयन है। भाषा को अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास का माध्यम बनाकर छात्रों को सशक्त करना सरकार का लक्ष्य है। यह पहल उसी दिशा में एक ठोस कदम है। मध्यप्रदेश सरकार की मातृभाषा हिंदी में चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने का संकल्प अब नीतिगत निर्णयों और कार्यान्वयन की ठोस रूपरेखा के साथ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में मातृभाषा हिंदी को सशक्त बनाने सतत नवाचार किए जा रहे हैं।

15 से 20 प्रतिशत छात्रों ने हिंदी का किया उपयोग

कुल सचिव मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर ने बताया कि वर्ष 2022 में हिंदी में चिकित्सा शिक्षा के लिए पाठ्यपुस्तकों का विमोचन किया गया था और इन्हें शैक्षणिक सत्र 2023-24 से विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध कराया गया है। यह नवाचार अभी अपने प्रारंभिक चरण में है, जिसमें केवल प्रथम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित की गई हैं। विश्वविद्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, लगभग 15 से 20 प्रतिशत छात्रों ने मौखिक एवं लिखित परीक्षाओं में हिंदी भाषा का उपयोग किया है। यह प्रथम बैच वर्ष 2027-28 में स्नातक होकर विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण होगा। विश्वविद्यालय द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि आगामी सत्रों से प्रश्नपत्र दोनों भाषाओं हिंदी और अंग्रेज़ी में उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि छात्र अपनी सुविधा के अनुसार उत्तर दे सकें। साथ ही हिंदी भाषा के उपयोग की सटीक जानकारी के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं।

मातृभाषा में परीक्षा देने वाले छात्रों को प्रोत्साहन

 चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा संकाय से संबद्ध सभी महाविद्यालयों को मातृभाषा में अध्ययन को प्रोत्साहित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। कक्षा और प्रायोगिक शिक्षण में मातृभाषा में परीक्षा देने वाले छात्रों को किसी प्रकार की असुविधा न हो साथ ही परीक्षकों का चयन करते समय यह सुनिश्चित करने के निर्देश हैं कि वे मातृभाषा को समझते हों और उसी में छात्रों से संवाद कर सकें। मातृभाषा में परीक्षा देने वाले छात्रों को संस्थागत स्तर पर प्रोत्साहन दिया जाएगा, और आवश्यकता पड़ने पर उनके लिए विशेष समस्या निवारण कक्षाएं भी आयोजित की जाएंगी। इसके साथ ही, इन छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था भी की जा रही है।

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