Mayawati Strategy BAMCEF Relaunch : सबको खुश करने की कोशिश में बसपा की बहुजन (दलित) पर पकड़ कमजोर होती जा रही है। इस बात से भलीभांति वाकिफ पार्टी प्रमुख मायावती दोराहे पर खड़ी नजर आ रही हैं। सियासी जमीन पर अपनी पकड़ फिर से जमाने के लिए उन्होंने पहले सर्वजन हिताय की जगह बहुजन हिताय का मंत्र जपना शुरू किया और सीधे तौर पर कोर वोट को खुश करने की कोशिश शुरू की, लेकिन अब शायद उन्हें सवर्णों के दूर जाने की चिंता सता रही है।
बामसेफ की होगी सक्रिय भागीदारी
ऐसे में वह नई रणनीति अपनाते हुए कैडर में पैठ रखने वाले आधार संगठन पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी महासंघ (बामसेफ) को सक्रिय करने जा रही है। ब्राह्मणों समेत अन्य सामाजिक वर्गों के लिए भाईचारा समितियां बनाकर इस संगठन के जरिए ‘सोशल इंजीनियरिंग’ को साधने की योजना है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा 2014 के बाद से लगातार ढलान पर है।
कोर वोट में सेंधमारी की गई है। Mayawati Strategy BAMCEF Relaunch
मौजूदा लोकसभा में उसका एक भी सांसद नहीं है और राज्य विधानसभा में सिर्फ एक विधायक है। इसकी मुख्य वजह यह है कि भाजपा पहले ही दलित वोटों में बड़ी सेंध लगा चुकी थी और इस बार सपा ने भी बसपा का काफी कोर वोट छीन लिया। मुस्लिम वोट पहले ही सपा के पाले में चला गया है। हालांकि, लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद समीक्षा करते हुए मायावती ने मुसलमानों के प्रति अपनी नाराजगी साफ जाहिर की और धीरे-धीरे सवर्णों से भी किनारा करने के संकेत दिए।
दलित और पिछड़े बसपा के कोर वोट बैंक हैं।
कई सालों से ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की बात करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री मायावती अब बहुजन हिताय पर फोकस कर रही हैं। इन शब्दों का संदेश उनके कोर वोट बैंक यानी दलितों और पिछड़ों के लिए है। लेकिन, अब वह फिर से रणनीति बदलती नजर आ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, बसपा प्रमुख ने पार्टी संस्थापक द्वारा स्थापित सरकारी कर्मचारियों के संगठन बामसेफ को पुनर्गठित और सक्रिय करने का फैसला किया है।
हर जिले में समन्वयक नियुक्त करने के निर्देश Mayawati Strategy BAMCEF Relaunch
उन्होंने हर जिले में बामसेफ के एक समन्वयक और दस सह समन्वयक नियुक्त करने को कहा है। ब्राह्मण और मुस्लिम भाईचारा समितियां बनाकर इन वर्गों में पैठ बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। बामसेफ के एक पदाधिकारी ने बताया कि बामसेफ काफी समय से अलग-थलग था, लेकिन अब फिर से हलचल हो रही है। बसपा नेतृत्व ने संवाद शुरू कर दिया है।
वर्ष 2007 में बसपा ने ब्राह्मणों को टिकट दिए थे |
बामसेफ के पदाधिकारी इसे रणनीतिक कदम मान रहे हैं, क्योंकि बसपा तभी मजबूत होगी, जब मुस्लिमों के साथ ब्राह्मण भी जुड़ेंगे। वर्ष 2007 में मायावती ने बड़ी संख्या में ब्राह्मणों को टिकट दिए थे। उनमें से 41 विधायक जीते थे, तब बसपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। अब मायावती दलितों और पिछड़ों की सीधी राजनीति करेंगी और बामसेफ के जरिए समाज के अन्य वर्गों को लुभाने का प्रयास किया जाएगा।