Mayawati on Reservation : बसपा अध्यक्ष मायावती ने आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बड़ा बयान दिया। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को आरक्षण पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मायावती ने कहा कि अब केवल आश्वासन से काम नहीं चलेगा। आरक्षण के लिए लोगों को एकजुट होना पड़ेगा। उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस को आरक्षण के प्रति निरंकुश बताया।
संसद में पेश हो आरक्षण संशोधन विधेयक (Mayawati on Reservation)
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा प्रमुख मायावती ने आरक्षण पर लोगों को एकजुट होने को कहा है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था पर जो निर्णय दिया था, उसपर संसद में बहस होनी चाहिए थी। केंद्र सरकार को सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक लाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि संसद के सत्र में आरक्षण पर संशोधन विधेयक लाकर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट जे फैसले को निष्प्रभावी कर देना चाहिए था। लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा नहीं किया।
सभी राजनीतिक दल आरक्षण पर आगे आएं
मायावती (Mayawati on Reservation) ने कहा कि आरक्षण पर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खाली आश्वासन से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार चाहती तो संसद में आरक्षण संशोधन विधेयक पेश कर सकती थी। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। इसलिए उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को सुझाव दिया है कि अब सभी दल आरक्षण पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दें। उन्होंने कहा कि संसद का अगला सत्र बुलाकर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश कर देना चाहिए।
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आरक्षण पर कांग्रेस-आप अब चुप क्यों? (Mayawati on Reservation)
मायावती ने बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर आरक्षण को लेकर निरंकुश भावना रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस और आप संविधान की प्रतियां लेकर घूम रहें थे, मगर अब आरक्षण पर सभी ने चुप्पी साध ली है। उन्होंने बीजेपी पर भी हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव के दौरान भाजपा के लोग आरक्षण के हितैषी बने बैठे थे। लेकिन अब इनकी सरकार होते हुए भी ये लोग केवल आश्वासन ही दे रहें हैं।
मायावती ने लोगों से कहा – ‘एकजुट हों’ (Mayawati on Reservation)
आरक्षण को लेकर बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने लोगों से भी एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने लोगों से कहा, “आरक्षण के मुद्दे को लेकर एकजुट हों, और आवाज़ उठाएं। क्योंकि अगर अब आवाज नहीं उठाई तो हमेशा के लिए आरक्षण से वंचित रहना पड़ेगा।” उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित गणना करवाएं।
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