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मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की ‘विवादित ढांचा’ की मांग, हिंदू पक्ष को झटका

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में 4 जुलाई 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा (Justice Ram Manohar Narayan Mishra) की एकल पीठ ने हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह (Mahendra Pratap Singh) की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ (Disputed Structure) घोषित करने की मांग थी।

कोर्ट ने कहा कि यह मामला अभी जांच के दौर में है, और मस्जिद को इस तरह नामित करना जल्दबाजी होगी। इस विवाद में 18 याचिकाएं लंबित हैं, जो श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास मस्जिद को हटाने और जमीन के स्वामित्व से जुड़ी हैं। यह फैसला हिंदू पक्ष के लिए झटका माना जा रहा है।

Sri Krishna Janmabhoomi Case, Shahi Idgah Dispute, Allahabad High Court Verdict: 4 जुलाई 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई दोपहर 2 बजे शुरू हुई। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि शाही ईदगाह मस्जिद मुगल बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) के शासन में मंदिर तोड़कर बनाई गई थी। उन्होंने ऐतिहासिक दस्तावेजों और पुरातात्विक साक्ष्यों का हवाला देते हुए मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने की मांग की।

हिंदू पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि यह कदम सुनवाई को स्पष्टता देगा। मस्जिद कमेटी के वकील कासिम जमाल (Qasim Jamal) ने इसका विरोध करते हुए कहा कि मस्जिद को ‘विवादित’ कहना पक्षपातपूर्ण होगा और धार्मिक तनाव भड़का सकता है।

उन्होंने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 (Places of Worship Act 1991) का हवाला दिया, जो 1947 की स्थिति को बदलने पर रोक लगाता है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी, यह कहते हुए कि मस्जिद का नामकरण अभी उचित नहीं है।

पृष्ठभूमियह मामला मथुरा में 13.37 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जहां हिंदू पक्ष का दावा है कि भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है। उनका कहना है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई। 18 मुकदमे इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं, जो मई 2023 में मथुरा की निचली अदालत से ट्रांसफर हुए थे।

कोर्ट का फैसला और प्रतिक्रियाएं

कोर्ट के फैसले ने हिंदू पक्ष की मांग को अस्वीकार कर दिया, जिससे उनकी रणनीति को झटका लगा।

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