Mathura Controversy: हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर HC में हो सकेगी सुनवाई, मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज

Mathura Controversy:हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा , “इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही मस्जिद की 7 /11 में फाइल की गई एप्लिकेशन रिजेक्ट कर दी है. अदालत ने कहा कि  ये प्लेसेज ऑफ वर्शिप है. सभी केस बाधित नहीं हैं.”

उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री कृष्ण जन्म भूमि – शाही ईद विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की  आर्डर 7 रूल 11 की आपत्ति वाली अर्जी ख़ारिज कर दी। अब हिंदू पक्ष की याचिकाओं में कोर्ट में सुनवाई हो सकेगी. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की तरफ़ से दायर हिंदू पक्ष की याचिका पर उठाए पोषणीयता के सवाल को ख़ारिज कर दिया है. 

हाई कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। दरअसल मुस्लिम पक्ष ने याचिकाओं की पोषणीयता को चुनौती दी थी। अब इस केस में ट्रायल चलेंगा और आगे याचिकाओं की सुनवाई जारी रहेंगी। ये फैसला जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने सुनाया है. 

मुस्लिम पक्ष की याचिका ख़ारिज

हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया को बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही मस्जिद की 7/11 में फाइल की गई एप्लिकेशन रिजेक्ट कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि ये प्लेसेज ऑफ वर्शिप है. साथ ही सभी केस बाधित नहीं हैं. मामले में 123 अगस्त को अगली सुनवाई होगी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के दिए गए सर्वे के ऑर्डर पर सुप्रीम कोर्ट ने जो स्टे लगाया है, उसके लिए हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाएगा और स्टे हटाने की मांग करेंगे. 

क्या है विवाद

आपको बताते चले कि हिंदू पक्ष की तरफ से ये मुकदमे शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाकर जमीन का कब्जा देने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग को लेकर दायर किए गए हैं. यह विवाद काफी पुराना है। यह मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, ऐसा माना जाता है कि जिसका निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद किया गया. 

हिन्दू पक्ष की मांग

हिंदू पक्ष की तरफ से दायर याचिकाओं में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं का बताकर यहां पर पूजा का अधिकार देने की मांग की गई है. मुस्लिम पक्ष ने इसे ख़ारिज करने के लिए दलील पेश की थी। मुस्लिम पक्ष ने इसके लिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट. वक्फ एक्ट, स्पेसिफिक पजेशन एक्ट का हवाला दिया था. इस मामले पर 6 जून को सुनवाई हुई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था

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