Pahalgham: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में जहाँ 26 लोगों की जान गई, वहीं एक कश्मीरी युवा सैयद हुसैन शाह भी आतंकियों की गोली का शिकार बन गया। सैयद हुसैन पेशे से घोड़े पर पर्यटकों को घुमाने का काम करता था और वह पहलगाम के पास स्थित अशमुकाम गांव का निवासी था। उसकी शहादत ने पूरे इलाके को गमगीन कर दिया है।
सैयद मंगलवार को रोज की तरह अपने घोड़े के साथ पर्यटकों को पहलगाम की खूबसूरत वादियों में घुमा रहा था। लेकिन दोपहर लगभग तीन बजे आतंकियों ने अचानक हमला कर दिया। इस हमले में न केवल पर्यटक बल्कि स्थानीय लोग भी चपेट में आ गए।
सैयद के पिता ने बताया
सैयद के पिता सैयद हैदर शाह ने ANI से बातचीत में बताया, “हमने उसे तीन बजे के आसपास कॉल किया तो उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था। थोड़ी देर बाद लगभग साढ़े चार बजे उसका फोन ऑन हुआ, हम बार-बार कॉल करते रहे लेकिन किसी ने कॉल रिसीव नहीं किया। घबराहट में हम थाने गए और रिपोर्ट लिखवाई। फिर घर लौटे। बाद में हमें खबर मिली कि हमला हो गया है। हमारा लड़का अस्पताल में है। जब जाकर देखा तो वह दुनिया छोड़ चुका था।”
रुंधे गले से सैयद के पिता ने कहा, “वो हमारा सबसे बड़ा बेटा था, और घर का इकलौता कमाने वाला। अब किसी से क्या कहें? हमें इंसाफ चाहिए। उन्होंने (आतंकियों ने) ऐसा क्यों किया? वो बेगुनाह था, मासूम था। उसे क्यों मारा गया?”
एक साहसी कोशिश और शहादत
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमले के दिन सैयद पर्यटकों को पहाड़ों की सैर करा रहा था। जैसे ही आतंकियों ने गोलियां चलानी शुरू कीं, वह भी वहीं मौजूद था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सैयद ने बहादुरी दिखाते हुए आतंकियों को समझाने की कोशिश की — “ये कश्मीर के मेहमान हैं, मासूम हैं, इन्हें मत मारो!”
लेकिन आतंकियों ने उसकी एक न सुनी। सैयद फिर भी पीछे नहीं हटा। उसने एक आतंकी से भिड़ने की हिम्मत दिखाई और उसकी बंदूक छीनने की कोशिश की। इस कोशिश में आतंकी ने उसे पीछे धकेल दिया और फिर सीने पर गोली मार दी। सैयद वहीं पर गिर पड़ा और शहीद हो गया। सैयद हुसैन शाह की कहानी सिर्फ एक हमले का हिस्सा नहीं है, बल्कि वह कश्मीर की उस तस्वीर को दिखाता है, जो अमन और इंसानियत की मिसाल है। उसने अपनी जान की परवाह किए बिना पर्यटकों को बचाने की कोशिश की।
