Married women prayed to Banyan tree and asked for eternal good fortune: वट सावित्री व्रत को लेकर रीवा जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में श्रद्धा और आस्था का माहौल रहा। सुहागिन महिलाओं ने अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए वट वृक्ष की पूजा कर व्रत रखा। मंदिरों और वट वृक्षों के आसपास महिलाओं की भारी भीड़ देखी गई। विशेष रूप से शिव मंदिरों में सोमवार को सुबह से ही महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में पूजा सामग्री के साथ पहुंचने लगी थीं।
पूजा के दौरान महिलाओं ने कच्चे सूत के साथ वट वृक्ष की परिक्रमा की और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनी। चाणक्यपुरी नगर स्थित हनुमान मंदिर में मौजूद पंडित शिव तिवारी ने बताया कि वट सावित्री व्रत विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन त्रिदेव-ब्रह्मा, विष्णु और महेश – की पूजा कर वट वृक्ष की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि सावित्री ने इसी वृक्ष के नीचे यमराज से संघर्ष कर अपने पति सत्यवान को पुनर्जीवन दिलाया था। सोमवार को अमावस्या तिथि के साथ सोमवती अमावस्या का संयोग व्रत की पुण्य प्राप्ति को और भी बढ़ा देता है। मान्यता है कि इस व्रत से महिलाओं के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है, वहीं पति के जीवन से संकटों का नाश होता है।
यह एक शुभ संयोग है कि वटसावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या एक ही दिन पड़े। सुहागिन महिलाओं ने एक तरफ जहां निर्जला व्रत कर अपने-अपने पति की दीर्घायु की कामना की वही दूसरी तरफ सोमवती अमावस्या का पुण्य प्राप्त करने तुलसी, पीपल व बरगद के 108 परिक्रमा किए। शहर में जहां भी बरगद-पीपल के वृक्ष रहे वहां हर जगह वहां-वहां सोलह श्रृंगार से सुसज्जित महिलाओं का जमावड़ा पूजन विधि में तल्लीन नजर आया।
चाणक्यपुरी नगर स्थित हनुमान मंदिर में उपस्थित पंडित शिव तिवारी ने वटसावित्री व्रत का महात्म्य बताते हुए कहा कि आज सुबह से ही महिलाओं का मंदिर में पूजा पाठ चल रहा है जिसमें सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु हेतु निर्जला व्रत-पूजन कर रही हैं जो एस तप के समान है क्योंकि इतनी भीषण गर्मी में निर्जला व्रत तपस्या के समान ही है। इस अवसर पर पूजन करने आईं रश्मि द्विवेदी ने बताया कि इस व्रत का धार्मिक महत्व के चलते बरगद का पूजन कर ,पति की दीर्घायु की प्रार्थना कर हैं वहीं दूसरी तरफ़ इन वटवृक्षों की संख्या में बहुत कमी देखी जा रही है जबकि पर्यावरण की दृष्टि से ये वायुमंडल के सबसे बड़े सहयोग हैं।
अपनी बात कहते हुए उन्होंने विंध्य क्षेत्र सहित समस्त सुहागिन महिलाओं से आज के दिन एक बरगद का पौधा लगा कर अपने-अपने पतियों के साथ पर्यावरण को भी समृद्ध बनाने की अपील की। सोमवती अमावस्या के उपलक्ष्य में सभी महिलाओं ने विभिन्न खाद्यान्नों की 108 परिक्रमा की जबकि नव-व्याहताओं में पहली फेरी धान व जिनकी विवाहोपरांत दूसरी अमावस्या थी उन्होंने पान की फेरी लगाकर वट-सावित्री व्रत व सोमवती अमावस्या के पुण्य तिथि का लाभ उठाया। रीवा शहर में आज के दिन जहां जहां बरगद के पेड़ थे जिसमें पीटीएस हनुमान मंदिर, मृत्युंजय महादेव किला मंदिर, चिरहुला हनुमान मंदिर,रानी तालाब कालकाजी मंदिर व समान तिराहा सहित पंचमठा मंदिर में वटसावित्री का पूजन करते महिलाओं की चहल-पहल देखी गई।