Maratha Reservation News: वीर शिवाजी महाराज की धरती महाराष्ट्र में कई सालों से मराठा आरक्षण का मुद्दा भड़का हुआ है. पिछले महीने एक सितम्बर को जालना में भड़की हिंसा से राजनीति गरमा गई. आरक्षण की मांग करने वाले हज़ारों प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया, जिसके बाद हिंसा भड़क गई. ये हिंसा धीरे धीरे बड़े पैमाने पर जुलुस, प्रदर्शन और कई जिलों में बंदी के रूप में फ़ैल गयी.
मराठाओं के इस आंदोलन ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दीं हैं. इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जारंगे पीछे हटने को तैयार नहीं थे. बल्कि आंदोलन तेज़ करने की धमकी दे रहे थे.
क्या है मराठा आरक्षण की लड़ाई?
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की लड़ाई कोई नयी नहीं है. पिछले कई सालों से यह लड़ाई लड़ी जा रही है. मराठा समुदाय की मांग है कि उन्हें शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण दी जाये जैसे पिछड़ी जातियों को दिया गया है. मराठीयों का मानना है कि समाज में एक छोटा तबका भी है जो ऊँची पैठ रखता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने यह मनाने से इंकार कर दिया है कि मराठा पिछड़े हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया मराठा आरक्षण?
Maratha Arakshan Story: आपको बता दें की साल 2018 में सरकार ने कानून बनाकर मराठा समुदाय को 13% आरक्षण दिया था मगर मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने मराठा आरक्षण को ख़ारिज कर दिया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा की आरक्षण को लेकर 50% की सीमा को नहीं तोडा जा सकता।1992 में सुप्रीम कोर्ट ने यह सीमा निर्धारित की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा है की मराठाओं के आरक्षण लागु करने की कोई जरुरत नही है. संविधान को आर्टिकल 16 के अनुसार केवल पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया गया है.
यानी उन लोगों के लिए सीटें आरक्षित की गयीं हैं जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से कमजोर है.
मराठाओं की आर्थिक स्थिति
Maratha Reservation 2023: महाराष्ट्र में मराठाओं की कुल आबादी 30 फीसदी है.साल 2018 में राज्य पिछड़ा आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में करीब 37.38 फीसदी मराठा गरीबी रेखा से निचे रह रहे हैं.इस समुदाय की 78.86 फीसदी परिवार कृषि से अपना जीवन यापन कर रहा है.2018 तक 23.56 प्रतिशत यानी करीब 2152 मराठी समुदाय के किसानों ने आत्महत्या कर ली.आत्महत्या की मुख्य वजह कर्ज और फसल की बर्बादी थी.
बीड में आयोजित मराठा आंदोलन हुई हिंसक
महाराष्ट्र के बीड में चल रहा मराठा आंदोलन हिंसक हो गया है. हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक BST बस को आग के हवाले कर दिया और एक बस पर पथराव भी किया गया. जिससे सुरक्षा के दृष्टिगत बसों का आवागमन रोक दिया गया. यह फैला विभागीय नियंत्रक की ओर से लिया गया है.
विदित हो की आंदोलनकारियों ने बीड में धुले-सोलापुर हाईवे को ब्लॉक कर दिया।सड़क जाम करने के बाद प्रदर्शनकारियों ने यहाँ टायर भी जलाये।
आरक्षण के लिए राज्य भर में अलग-अलग तरीकों से आंदोलन
बता दें कि मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए राज्य भर में अलग-अलग तरीकों से आंदोलन किया जा रहा है. बीड जिले में भी गांव-गांव आंदोलन चल रहा है. इसी बीच अंबाजोगाई तालुक के गिरवली गांव के एक युवक शत्रुघ्न काशिद ने भी अपने गांव की पानी की टंकी पर चढ़कर आरक्षण की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की. उन्होंने जारांगे पाटिल से बात करने की इच्छा भी जताई. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. साथ ही पुलिस ने शत्रुघ्न को समझाने की कोशिश भी की, लेकिन वह अपनी मांग पर अड़े रहे. आखिरकार रात में उसने टंकी से कूदकर अपनी जान दे दी.