Baichaini Se Kaise Bache; कभी कभी बेचैनियाँ बहुत सताती हैं, ये क्यों हैं शायद ये जानते हैं हम, ये कैसे खत्म होंगी कुछ कुछ इसका भी अंदाज़ा होता है हमें लेकिन मजबूर होते हैं उन राहों पे चलने के लिए जो हमें बेचैनी देती हैं ,अब सवाल ये है कि क्या? ये संघर्ष ,ये दुख हमारी तपस्या है और एक दिन इसका सुखद फल हमें मिलेगा या तप कर हम कुंदन तो बन जाएंगे लेकिन सुख के दर्शन नहीं हो पाएंगे.
विरोध से ही रीत बदलेगी
आज की दौड़ती भागती दुनिया में कोई किसी का भला नहीं सोच पाता जाने क्यों या तो अपना भला सोचने से किसी को फ़ुर्सत नहीं है,भले ही उसमें किसी का नुकसान ही क्यों न हो जाए या कुछ लोग इतने सुखी है कि दूसरों के ग़म को देखना ही नहीं चाहते ,तब भी नहीं जब किसी के ग़म की वजह वो खुद ही हो ,ये दस्तूर जाने कब से दुनिया एक दूसरे के लिए अजनबी बनके चला रही हैं और हम भी कुछ दिन इसका अफसोस करने के बाद इसी रिवाज का हिस्सा हो जाते हैं क्योंकि हम इसका विरोध नहीं करते न ।
किसके लिए हम दुख झेल कर भी मुस्कुराते हैं
जब हमारे दिमाग़ ने ये मोहर लगा दी कि अब ये नापसंद के काम हमारी मजबूरी है और उससे निकलने में हमें कुछ वक्त लगेगा तो आंसू बहाने से क्या फायदा ,अच्छा है कि हम खुश रहने की कोशिश करें ,खुद को इतना तराशे कि दुनिया हममें कोई कमी न निकाल पाए और अगर कोई हम पर इल्ज़ाम लगाए तो हम अपनी बात रखने कि हिम्मत कर सकें , सच का साथ न छोड़े ,क्योंकि यही हमें हिम्मत देता है दुनिया से लड़ने की ताक़त देता है कुछ समझौते भी अगर हमें करने पड़ रहे हैं तो उसके पीछे छुपी उस खूबसूरत वजह को याद करिए जिसकी वजह से हमें ये मजबूरी वाले फैसले करने पड़े, यक़ीनन वो वजह इतनी खूबसूरत होगी कि आप अपने सब ग़म भूल जाएंगे।
नाराज़गी खुद से रखें दुनिया से नहीं
अगर हमें कोई परेशान कर रहा है तो ये हमारी ही कमज़ोरी है जिसका फायदा कोई उठा रहा है ,तो नाराज़ होना है तो खुद से होइए ,खुद को सज़ा दीजिए तभी तो हम अगली बार किसी को परेशान करने का मौका नहीं देंगे ,क्योंकि अपनी सज़ा का दर्द हमें याद रहेगा और हम खुद को मज़बूत बनाने की कोशिश करेंगे, जिनका हल अभी हमारे पास नहीं है उन मुश्किलों को भी ठंडे दिमाग से ख़ुशी ख़ुशी हल करने की कोशिश करेंगे तो ये परेशानियां भी दूर हो जाएंगी ,दुख के दिन लंबे ज़रूर लगते हैं लेकिन कट ये भी जाते हैं। तो ग़ौर ज़रूर करिएगा इस बात पर फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद