Manmohan Singh Memory : ‘मैं साइलेंट पीएम नहीं’ बोलेगी यह किताब – डॉ. मनमोहन सिंह, ‘आलोचना से शांत रहना अच्छा’

Manmohan Singh Memory : पपेट, एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर, मौनमंत्री (साइलेंट पीएम) जैसे शब्द… कभी देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए किए जाते थे। मगर वह कभी भी उनके लिए की गई आलोचना का जवाब नहीं देते थे। 2018 में उनके आखिर इंटरव्यू में उन्होंने इन सभी सवालों के जवाब पहली बार दिए थे। शांत व सरल स्वाभाव वाले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने जवाब में कहा था कि उन्हें एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री कहा जाता था लेकिन वह एक्सीडेंटल वित्तमंत्री भी थे। जिसका कभी जिक्र नहीं होता। मनमोहन सिंह ने एक सवाल पर कहा था कि जवाब में किसी की आलोचना करने से अच्छा है शांत रहना। लेकिन उनकी खामोशी को हमेशा ही गलत तरीके से पेश किया गया।

मनमोहन सिंह के योगदान को कभी नहीं भूलेगा देश | manmohan singh death

एक महान अर्थशास्त्री के रूप में देश मनमोहन सिंह के योगदान को कभी नहीं भूल पाएगा। उन्होंने उस समय भारत की अर्थव्यवस्था को संभाला जब भारत में आर्थिक स्थिति चिंता की रेखा पर पहुंच गई थी। उस समय वह मनमोहन सिंह ही थे जिन्होंने देश में उदारीकरण की शुरुआत और लाइसेंस राज के खात्मे की शुरुआत की। यही कारण है कि मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों और उदारीकरण का जनक माना जाता है।

मनमोहन सिंह ने एक नहीं कई विभागोें में किया काम | dr.manmohan singh passed away

डॉ मनमोहन सिंह ने एक प्रधानमंत्री और देश के वित्त मंत्री पद को संभालने से पहले कई अहम विभाग संभाल चुके थे। उन्होंने विदेश व्यापार विभाग में आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के सचिव, भारतीय रिजर्व बैंक के डायरेक्टर और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के पद पर काम किया था। उन्होंने सभी विभागों में अपना बेहतर योगदान दिया। जिसे देश हमेशा याद रखेगा। उनके इस अनुभव ने ही देश को कई बार आर्थिक नाजुक स्थिति में भी संभाल लिया।

अर्थशास्त्री से बने राजनेता, फिर बने पीएम

देश के महान अर्थशास्त्री के रूप में कीर्ति हासिल करने के बाद डॉ मनमोहन सिंह ने राजनीति में कदम रखा। बेहत कम समय में उन्होंने बड़ी उपलब्धी हासिल कर ली। एक बार वह अमेरिका से भारत लौटे थे। वह घर पर आराम कर रही रहें थे कि तभी उनके घर पर फोन की घंटी बजी और उनके दामाद ने फोन उठाया। फोन पर पीवी नरसिम्हा राव सरकार के पीए ने कहा कि क्या आप दफ्तर आ सकते हैं। यह वह क्षण था जब मनमोहन सिंह को पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्रालय संभालने का ऑफर मिला था। उन्होंने वित्त मंत्री की कुर्सी पर बैठकर देश की इकोनॉमी को एक नई दिशा प्रदान की थी।

अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी लाए थे मनमोहन सिंह

जब आजादी के बाद देश की आर्थिक स्थिति बत्तर हो चुकी थी। आजादी के बाद देश में जारी लाइसेंस राज और क्लोज डोर इकोनॉमी के कारण देश का खजाना लगभग खाली हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति भी दैनीय हो चुकी थी जिससे भारत कर्ज में डूबता जा रहा था। पुराने कर्ज का भुगतान करने के बजाय देश नए कर्ज लेने के लिए मजबूर हो गया था। इस विषम परिस्थिति में डॉ मनमोहन सिंह ने अपनी कुशल आर्थिक नीति से देश की अर्थव्यवस्था को न सिर्फ संभाला बल्कि आने वाले कल के लिए नई दिशा भी दी। उस समय वह मनमोहन सिंह ही थे जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को दोबाबा पटरी पर लौटाया। तब पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने पूरा समर्थन दिया था।

‘मैं साइलेंट पीएम नहीं’ बताएगी यह किताब – मनमोहन सिंह | manmohan singh quotes

साल 2018 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ‘चेंजिंग इंडिया’ नाम से एक किताब लिखी थी। इसमें उन्होंने साइलेंट पीएम का जिक्र करते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी थी। उन्होंने लिखा था, “लोग कहते हैं कि मैं साइलेंट प्राइम मिनिस्टर हूं। मुझे लगता है कि ये किताब खुद जवाब देगी। मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि मैं वह प्राइम मिनिस्टर नहीं हूं जो प्रेस से बात करने में डरता है। मैं प्रेस से निरंतर मिलता हूं। जो भी विदेश यात्रा मैंने की है, मैंने प्लेन में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया है या लैंडिंग के तुरंत बाद किया है। इस किताब में मेरे उन सभी प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में जिक्र किया गया है।”

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