Manish Sisodia Bail : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग के भ्रष्टाचार मामले में जेल में बंद मनीष सिसोदिया को रिहा करने का आदेश दिया है। 17 महीने से जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 26 फ़रवरी को गिरफ्तार किया गया था। आज मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia Bail Update) को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उन्हें अब सीबीआई और ईडी दोनों से राहत मिल गई।
सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया को राहत
शुक्रवार को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मामले (Delhi Excise Policy Scam) में आज दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी। जेल में बंद सिसोदिया (Manish Sisodia Bail) को सुप्रीम कोर्ट ने आज जमानत दे दी। मनीष सिसोदिया ने सीबीआई और ईडी दोनों की ही कार्यवाही से जमानत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत पर बहस सुनकर छह अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसपर सर्वोच्चतम अदालत ने उनकी मांग को जायज ठहराते हुए आज 9 अगस्त को उनकी जमानत मंजूर कर ली।
17 महीने बाद बाहर आएंगे मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia Bail)
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 बनाने के आरोप में 26 फ़रवरी को सीबीआई गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद ईडी ने उनपर कई अलग-अलग आरोपों में कार्यवाही की। जिसके चलते मनीष सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। पिछले 17 महीने से मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने तर्क दिया था कि अब तक उनपर कोई मुकदमा नहीं शुरू हुआ है। इसी आधार पर अदालत ने उन्हें रिहा करने का फैसला सुनाया है।
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ईडी की मांग को कोर्ट ने किया ख़ारिज
ईडी के वकील ने मनीष सिसोदिया की जमानत (Manish Sisodia Bail) के लिए मांग रखी कि उन्हें दिल्ली सचिवालय जाने से रोका जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की इस शर्त को आधारहीन बताकर ख़ारिज कर दिया। 17 महीने में मनीष सिसोदिया पर कोई भी मुकदमा नहीं शुरू होने के लिए ईडी ने सिसोदिया को ही जिम्मेदार ठहराया। ईडी ने कहा कि सिसोदिया ने पूछताछ में कॉपरेट नहीं कर ट्रायल में देरी करवाई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के वकील की किसी भी दलील को मानने से इनकार कर दिया।
अब और जेल भेजना न्याय का मजाक – SC (Manish Sisodia Bail)
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, “मनीष सिसोदिया 17 महीने से हिरासत में हैं और अभी तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ है, जिससे उन्हें त्वरित सुनवाई के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है। इन मामलों में जमानत मांगने के लिए उन्हें ट्रायल कोर्ट में भेजना न्याय का मखौल उड़ाना होगा। अब समय आ गया है कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट यह स्वीकार करें कि जमानत का सिद्धांत एक नियम है और जेल एक अपवाद है। सिसोदिया को 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानतदारों पर जमानत पर रिहा किया जाए।”
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