Manipur CM Biren Singh : मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच चल रही हिंसा कब राजनीतिक मुद्दा बन गई खुद तीन महीने पहले इस्तीफा देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह भी नहीं समझ पाए। हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर पर जब शासन की कार्रवाई पर आरोप लगे तो मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को मजबूर होकर इस्तीफा देना पड़ा था। वहीं अब इस्तीफा देने की 3 महीने कुछ दिन के बाद 44 विधायकों को लेकर बीरेन सिंह दोबारा राज्यपाल के पास पहुंचे और फिर से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। मणिपुर में यह चर्चा जोरों से चल रही है कि बीरेन सिंह दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं और नई सरकार का गठन कर सकते हैं। आज बुधवार को भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात कर कहा कि 44 विधायक नई सरकार बनाने को तैयार है।
बीरेन सिंह ने दोबारा सरकार बनाने का किया दावा
बुधवार को मणिपुर में नई सरकार बनाने की चर्चा तेज हो गई। मणिपुर की राजनीति में हलचल तब मची जब पूर्व मुख्यमंत्री बीरेन सिंह 44 विधायकों को लेकर राजभवन पहुंच गए। जहां भाजपा के 35 और एनपी के नौ विधायकों ने राजपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की और बीरेन सिंह के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश किया। बीरेन सिंह के 44 विधायकों ने राज्यपाल से कहा, “हम दोबारा सरकार बनाने के लिए तैयार हैं।” बता दें कि बीरेन सिंह की ओर से यह दोबारा सरकार बनाने की पेशकश भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने की। उन्होंने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को यह बता दिया है। इस मुद्दे के लिए क्या समाधान हो सकते हैं, इस पर भी चर्चा की।
नई सरकार के गठन का विरोध नहीं हुआ – भाजपा
बुधवार को 44 विधायकों के साथ राजभवन में राजपाल के सामने दोबारा सरकार बनाने का दावा करने के बाद भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम सिंह ने मीडिया को बताया, “राज्यपाल ने हमारी बातों पर गौर किया और लोगों के सर्वोत्तम हित में कार्रवाई शुरू करेंगे। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व निर्णय लेगा। हालांकि, यह बताना कि हम तैयार हैं, सरकार बनाने का दावा पेश करने जैसा है। विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत ने 44 विधायकों से व्यक्तिगत और संयुक्त रूप से मुलाकात की है। किसी ने भी नयी सरकार के गठन का विरोध नहीं किया है।”
ऐसे बर्बाद हुए Manipur CM Biren Singh के दो कार्यकाल
गौरतलब है कि इसी वर्ष फरवरी माह में बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है। बीरेन सिंह के पिछले कार्यकाल में कोविद आने की वजह से कार्यकाल बाधित रहा। लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा जिससे बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल के 2 साल बर्बाद हो गए थे। इसके बाद बीरेन सिंह के दूसरे कार्यकाल में मैतई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा ने उनके कार्यकाल को बर्बाद कर दिया। लगातार सरकार पर उतरे आलोचना के बाद बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद से ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। वहीं अब बीरेन सिंह दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए तैयार दिख रहें हैं।
मणिपुर में कैसे बनेगी बीरेन सिंह की सरकार?
भाजपा उम्मीदवार बीरेन सिंह के पास 44 विधायकों का समर्थन है। जिनमें 32 मेइती, तीन मणिपुरी मुस्लिम और नौ नगा विधायक हैं। वहीं मणिपुर में 60 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 59 विधायक हैं और एक सीट रिक्त है। जबकि कांग्रेस के पास पांच विधायक हैं, जो सभी मेइती हैं। निर्दलीय 10 विधायक हैं, जिनमें सात विधायकों ने पिछले चुनाव भाजपा के टिकट पर जीता था। ऐसे में मणिपुर में सरकार बनाने का अंकगणित समझने में देर नहीं लगेगी कि भाजपा ही दोबारा सरकार बनाने में समर्थ है।
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