Mangalsutra vs Hijab: कर्नाटक सिविल सेवा परीक्षा से संबंधित एक कंट्रोवर्शियल खबर सामने आई है. जिसमें बताया जा रहा है कि परीक्षा देने आई हिंदू छात्राओं से मंगलसूत्र उतारने को कहा गया था, जबकि मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर अंदर जाने की अनुमति दे दी गई थी. ऐसे में यह मामला काफी विवादित मुद्दा बन गया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, न केवल उन छात्राओं से मंगलसूत्र उतारने को कहा गया बल्कि उनसे कान के झुमके, चेन और बिछिया भी उतरवाया गया.
आपको बता दें कि परीक्षा केंद्र में मौजूद एक छात्रा ने बताया की केवल हिंदू छात्राओं को चेकिंग करने के बाद मंगलसूत्र, बालियां आदि चीजें उतारकर अंदर जाने की अनुमति दी गई और वहीं, दूसरी ओर मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के बावजूद भी अनुमति मिल गई थी. जिसपर लोगो का यह मानना है कि ये नियम तब तक स्वीकार्य है जब तक यह हर जाति और धर्म के छात्रों पर लागू हो.
भाजपा सांसद बसनगौड़ा की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर भाजपा सांसद बसनगौड़ा यत्नलाल काफी भड़के हुए नज़र आए. शिक्षा प्रणाली पर सीधा सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि “क्या यह कदम केवल हिंदुओं के लिए है, क्या ये नियम हिंदुओं के लिए ही बनाए गए हैं.”
सख्ती बरतने के पीछे का कारण
जानकारी के लिए बता दें की अभी हाल ही में 4 नवंबर 2023 को कर्नाटक कॉमन एंट्रेंस परीक्षा के दौरान एक छात्र और उसके भाई को ब्लूटूथ द्वारा नकल करते हुए पकड़ा गया था. जिसके बाद प्रशासन द्वारा नकल रोकने के अधिक सख्ती बरती गई.
समाज पर इस घटना का प्रभाव
सामाजिक दृष्टिकोण से इस घटना के बारे में बात करें तो बता दें कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार विवाहित महिलाओं के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण और उनकी पहचान उनका मंगलसूत्र और पैर में पहनने वाला बिछिया होता है. बहुत ज्यादा अधिक महत्वपूर्ण होने पर ही महिलाएं इन गहनों को उतारती है. ऐसे में परीक्षा में मौजूद चेकिंग अधिकारियों की टीम द्वारा केवल हिंदू महिला छात्राओं से मंगलसूत्र और बिछिया उतरने को कहना उनके लिए अपमानजनक और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाना है.
इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आए
बता दें कि बीते वर्ष 2022 में उडुपी जिले के पीयू सरकारी कॉलेज में प्रशासन द्वारा हिजाब पहनकर अंदर आने वाली छात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसपे लोगों द्वारा जमकर विरोध हुआ था.
मामले पर जनता की प्रतिक्रिया