विलुप्त हो सकती है चित्रकूट की मंदाकिन नदी!, कंमजोर हो रहा जल प्रवाह, धार्मिक गंथ्रों में है वर्णित, पहुचे प्रभारी मंत्री

चित्रकूट। पवित्र नदियों में सुमार चित्रकूट की मंदाकिन नदी पर खतरे के बादल मंडरा रहे है। विशेषज्ञों को कहना है कि नदी का जल प्रवाह लगातार कंम हो रहा है। तीन दशक पहले यानि कि 1991 में इस नदी का जल प्रवाह 3000 लीटर प्रति सेकेंड था जो कि घटकर 300 लीटर प्रति सेकेंड हो गया है, यानि 90 प्रतिशत जल प्रवाह मंदाकिनी नदी का घट गया है। नदी के जल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रयास न किए गए तो आने वाले 30 सालों में मंदाकिनी नदी समाप्त हो सकती है। जानकार बताते है कि किसी भी नदी का जल प्रवाह 50 लीटर प्रति सेंकड से कंम नही होना चाहिए, अगर नदी का जल प्रवाह 30 लीटर प्रति सेंकड होता है तो वह नदी सामाप्त मानी जाती है। ऐसे में मंदाकिनी नदी का घटते जल प्रवाह को लेकर चितिंत होना लाजिब है।

घट रही ऑक्सीजन की मात्रा

नदी पर रिसर्च करने वाले जानकारों को कहना है कि मंदाकिनी नदी में सीवेज का जो पानी पहुचता है। उससे नदी का पानी तो दूष्ति हो ही रहा है, पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी घट रही है और बायोकेमिकल ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ रही है। प्रसिद्ध रामधाट, भरत घाट में बायोकेमिकल का प्रदूषण मानक से काफी ज्यादा बढ़ गया है।

बेहद पवित्र है मंदाकिनी

मंदाकिनी नदी, यमुना की एक छोटी सहायक नदी है जो मध्य प्रदेश के सतना जिले से निकल कर उत्तर प्रदेश के कर्वी की यमुना नदी में मिल जाती है। नदी की कुल लम्बाई लगभग 50 किमी है। नदी का हिन्दू धर्म में धार्मिक महत्व है और यह पवित्र माने जाने वाले स्थल चित्रकूट से होकर बहती है। नदी के तट पर रामघाट है जहाँ मान्यताओं के अनुसार श्रीराम ने अपने चित्रकूट निवास के दौरान स्नान किया करते थे। माता सती अनुसुइया ने अपनी तपस्य्या से इस नदी को अवतरित किया था। गंथ ये बताते है कि रामचरित मानस के रचयिता गोस्वमी तुलसी दास राम भक्ति की तलाश में चित्रकूट पहुचे और तपस्या कर रहे थें, इसी बीच हनुमान ने अपना अलग रूप लेकर श्लोक का वाचन किए कि…

चित्रकूट के घाट में भइ संतन की भीड़, तुलसी दास चंदन घिसाए, तिलक देत रघुवीर।

जिसके बाद गोस्वमी तुलसी दास को प्रभू राम का साक्षत हुआ और उन्होने रामचरित मानस नामक गंथ्र की रचना किए। कहने का तात्पर्य है कि पवित्र मंदाकिनी नदी जिसके तट पर स्वयं नारायण माता जनकी के साथ 12 वर्षो तक व्यतीत किए, और वे इस नदी में डुबकी लगाते थें। सती अनुसूईया के तपस्या का परिणाम यह मंदाकिनी नदी, जिस नदी में डूबकी लगाने से पॉप धुलते है वह पवित्र नदी और उसकी जल धारा पर संकट बादल मंडरा रहे है।

प्रभारी मंत्री ने किया श्रमदान

चित्रकूट प्रवास पर पहुचे प्रदेश शासन के मंत्री एवं सतना जिले के प्रभारी कैलाश विजय वर्गीय ने 26 मई को जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत मंदाकिनी नदी में श्रम दान करके इस नदी की नीरसता को बनाए रखने की आम जन से अपील किए है। इस दौरान सतना एवं चित्रकूट का पूरा प्रशासन मौजूद रहा। उनकी अपील का असर कितना होता है और नदी का अस्तित्व बनाए रखने के लिए शासन-प्रशासन आगे क्या कदम उठाता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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