Shivraj Singh Jharkhand News: झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर ‘मामा शिवराज’ को बड़ी जिम्मेदारी सौंप गई है। उन्हें और हिमंता विश्व सरमा के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं। लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद बीजेपी विधानसभा चुनाव की तैयारीयों में मजबूती से जुट गई है।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को झारखंड में प्रदेश चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। वहीं हिंदू विचारधारा के कट्टर समर्थक और असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व सरमा को झारखंड में प्रदेश चुनाव सह प्रभारी बनाया है। मामा शिवराज और विश्व सरमा को लोकसभा चुनाव में मिली बढ़त को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है।
बता दें कि इन दोनों नेताओं ने लोकसभा चुनाव में झारखंड में खूब चुनाव प्रचार प्रसार किया था। उसे वक्त शिवराज सिंह चौहान ने रांची में युवा सम्मेलन किया था। वहीं वे झारखंड के गोड्डा- महागामा क्षेत्र में भी बड़ी जनसभा को संबोधित किया था। सीएम हिमंता विश्व सरमा ने धनबाद में आक्रामक तरीके से चुनावी रैली को संबोधित किया था। लोकसभा चुनाव में बीजेपी-आजसू पार्टी ने झारखंड विधानसभा की 50 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाई थी। झारखंड के पांच जनजातीय आरक्षित सीटों पर बीजेपी पहले से बढ़त बनाई थी। लेकिन वह अंत तक आते-आते पांचवों आरक्षित लोकसभा सीटें बीजेपी हार गई।
चुनाव प्रबंधन तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक बड़ा विशेषज्ञ माना जाता है। 20 साल से अधिक के एंटी इनकमबैंसी के बाद भी ‘मामा’ ने मध्यप्रदेश में चुनाव में बीजेपी को एक बड़ी मजबूती से जीत दिलाई थी। शांत व सौम्य छवि वाले कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं से जोड़ने में महारत हासिल है। भाजपा ने मध्य प्रदेश के सभी 29 लोकसभा सीट जीतेने के बाद बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने एमपी फॉर्मूला पर चर्चा की थी। असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व सरमा भी अच्छे संगठनकर्ता के साथ-साथ हिंदू कट्टर समर्थक वाले नेता माने जाते हैं। स्थानीय भाजपा नेताओं के मुताबिक इस जोड़ी से झारखंड को नई ऊर्जा मिलेगी।
इन दोनों नेताओं के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं!
- साल 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में कोल्हान क्षेत्र में बीजेपी खाता भी खोल नहीं पायी थी। संथाल में जनजातीय आरक्षित सीटों पर भाजपा एक भी सीट नहीं निकाल पायी थी। भाजपा सिर्फ़ दो जनजातीय आरक्षित सीट खूंटी और तोरपा पर जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा को बड़ी चुनौती छिटक चुके जनजातीय आबादी को जोड़ने में है।
- पिछले 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा और आजसू पार्टी का गठबंधन नहीं हो सकता था। सारी उम्मीदें सीट शेयरिंग पर जाकर टूट गई थी। जिसके कारण से भाजपा को 11 सीटों पर नुकसान झेलना पड़ा था। इस बार आजसू प्रमुख सुदेश महतो को अपनी कुर्मी जाति को गोलबंद करने के लिए जेबीकेएसएस के संस्थापक जयराम महतो से चुनौती लेनी होगी। भाजपा-आजसू पार्टी के कुर्मी वोटर इस बार उनसे छिटक गई है। जिसके कारण पार्टी को वोट शेयर का बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है।
- आदिवासिओं के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद उन्हें लेकर जनजातीय समूह में सहानुभूति का लहर है। इस लहर से निपटने के लिए मामा शिवराज और हिमंता सरमा को बड़ी चुनौती होगी।