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Shaheed Malkhan Singh : 56 साल बाद जब शव घर पहुंचा शहीद का शव,तब तक परलोक सिधार चुके थे परिजन , जानें कौन थे शहीद मलखान सिंह।

Shaheed Malkhan Singh : यूपी के सहारनपुर के शहीद मलखान सिंह जिनका पार्थिव शरीर करीब 56 साल बाद हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे से मिला है। मलखान सिंह वायुसेना के जवान थे। 1968 में हुए एक विमान हादसे में वे लापता हो गए थे। यह विमान हादसा 7 फरवरी 1968 को रोहतांग दर्रे के पास हुआ था, जिसमें कुल 102 जवान सवार थे। 56 साल बाद उनके शव की पहचान उनके बैच नंबर के आधार पर हुई। यह खबर मिलने के बाद मलखान सिंह के परिवार और पूरे जिले में शोक और गर्व का माहौल है, लेकिन इन 56 सालों में मलखान सिंह के परिवार में काफी कुछ बदल गया है।

मलखान सिंह सहारनपुर के रहने वाले थे। Shaheed Malkhan Singh

मलखान सिंह सहारनपुर के थाना नानौता क्षेत्र के फतेहपुर गांव के रहने वाले थे। मलखान सिंह का जन्म 18 जनवरी 1945 को हुआ था। जब वे लापता हुए थे, तब उनकी उम्र महज 23 साल थी। हादसे के बाद से उनका कोई सुराग नहीं मिला। मलखान सिंह के माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके लौटने का वर्षों तक इंतजार किया। लेकिन कोई सूचना नहीं मिली।

मलखान सिंह की पत्नी ने अपने देवर से शादी कर ली।

विमान हादसे की खबर ने मलखान सिंह के परिवार को बुरी तरह तोड़ दिया। मलखान सिंह के लापता होने के बाद उनकी पत्नी शीलावती ने मलखान सिंह के छोटे भाई चंद्रपाल सिंह से दूसरी शादी कर ली। इस हादसे के समय शीलावती गर्भवती थीं और उनका एक बेटा रामप्रसाद महज डेढ़ साल का था। हालांकि परिवार ने मलखान सिंह को कभी मृत घोषित नहीं किया था, इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भी उनकी आत्मा की शांति के लिए कोई तर्पण संस्कार नहीं किया गया।

मलखान सिंह का अंतिम संस्कार उनके पोते ने किया।Shaheed Malkhan Singh

मलखान सिंह का अंतिम संस्कार अब उनके पोते गौतम ने किया। परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। मलखान सिंह के पोते मनीष और गौतम मजदूरी कर अपना गुजारा करते हैं। मलखान सिंह के छोटे भाई ईशम पाल सिंह ने कहा कि अगर यह शव पहले मिल जाता तो शायद उनकी पत्नी और बेटे को मलखान सिंह का अंतिम संस्कार करने का सौभाग्य मिलता।

अंतिम संस्कार में हजारों लोग जुटे। Shaheed Malkhan Singh

मलखान सिंह का पार्थिव शरीर भारतीय वायुसेना के जवानों द्वारा उनके पैतृक गांव फतेहपुर लाया गया। अंतिम संस्कार के लिए हजारों लोग वहां पहुंचे। हर तरफ ‘मलखान सिंह अमर रहे’ के नारे गूंज उठे। मलखान सिंह के पोते गौतम ने चिता को मुखाग्नि दी और पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

माता, पिता, पत्नी और बेटे सिधार चुके हैं परलोक

अब 56 साल बाद जब मलखान सिंह का शव सियाचिन में मिला तो परिवार के दर्द और इंतजार की सारी भावनाएं एक साथ उमड़ पड़ीं। हालांकि अब उनकी पत्नी शीलावती और बेटे रामप्रसाद की भी मौत हो चुकी है। माता-पिता भी अब इस दुनिया में नहीं हैं।

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