India-Maldives dispute: मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जु ने भारत से कहा कि 15 मार्च से पहले भारत अपने सैनिकों को हटा ले. उन्होंने कहा कि हमारा देश भले ही छोटा है लेकिन हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है. हालांकि मोइज्जू ने प्रत्यक्ष रूप से किसी का नाम लेकर ये बयान नहीं दिया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उनका इशारा भारत की तरफ है.
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने एक बार फिर तेवर दिखाए हैं. चीन से लौटने के बाद उन्होंने कहा कि भारत 15 मार्च से पहले मालदीव से अपने सैनिकों को हटा ले. इसके पहले उन्होंने कहा था कि हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है. कई सालों से मालदीव में भारत की सेना की एक छोटी टुकड़ी तैनात है. समुद्री सुरक्षा और आपदा राहत कार्यों में मदद के लिए भारतीय सेना की टुकड़ी को मालदीव में तैनात किया गया है.
पिछले साल नवंबर में मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया था कि उनके उनके देश को उम्मीद है कि भारत के लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा का सम्मान होगा। मोइज्जू 13 जनवरी को चीन के पांच दिवसीय दौरे से अपने देश लौटे थे. उन्होंने मालदीव पहुंचते ही कहा कि हमारा देश भले ही छोटा है लेकिन हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है. हालांकि मोइज्जू ने प्रत्यक्ष रूप से किसी का नाम लेकर ये बयान नहीं दिया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उनका इशारा भारत की तरफ है.
चीन के समर्थक माने जाने वाले मुइज्जु ने पांच दिन की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. उनका दौरा ऐसे समय पर हुआ था, जब पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया. इस मामले को लेकर भारत और मालदीव में राजनयिक विवाद बढ़ा है.
भारतीय सैनिकों पर विवाद क्यों है?
मालदीव में साल 2013 से ही लामू और अद्दू द्वीप पर भारतीय सैनिक तैनात हैं. भारतीय नौसेना भी मालदीव में तैनात है. नौसेना के ने वहां 10 कोस्टल सर्विलांस रडार इंस्टॉल कर रखे हैं. राष्ट्रपति बनने के बाद से ही मुइज्जु ने घोषणा की थी कि उनकी पहली जिम्मेदारी हिंद महासागर द्वीपसमूह में विदेशी सैन्य उपस्थिति को खत्म करना है.
मुइज्जु ने पिछले साल मालदीव के राष्ट्रपति बनने पर औरचारिक रूप से भारत से अनुरोध किया था कि वह मालदीव से अपनी सेना हटाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि उनका देश अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए किसी भी विदेशी सैन्य उपस्थिति से मुक्त हो.
क्या है भारत-मालदीव विवाद
प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्यद्वीप दौरे के बाद मालदीव की सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के दौरे की कुछ तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद बढ़ने लगा. मामले पर विवाद बढ़ने के बाद तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया था.