Union Budget 2025-26 : बिहार में गठित हुआ मखाना बोर्ड ?अब मखाने खाओ, खूब सेहत बनाओ!

Union Budget 2025-26: बिहार का मखाना वैसे भी अंतरराष्ट्रीय हो चुका है, लेकिन पहली बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा कर किसानों और कारोबारियों को बड़ी सौगात दी है। नीतीश कुमार सरकार के आदेश के बाद राज्य में बार बंद होने से बेरोजगार हुए लोग मखाना कारोबार से जुड़कर अपनी सेहत भी सुधार सकते हैं। मशहूर उर्दू शायर फिराक गोरखपुरी का एक शेर है- हंसते-खेलते ‘फिराक’ आए मधुशाला में/ पीया तो गंभीर हो गए… वाकई, यह बजट बिहार को कम गंभीर नहीं बनाने वाला है। फिलहाल बिहार में शराब पर पाबंदी है, शायद लोगों ने जितनी पीनी थी, पी ली है- अब गंभीर होने का मौसम आ गया है।

इस साल के बजट में बिहार की मौज ही मौज

अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे पहले गठबंधन मजबूत हो जाएं तो अच्छा रहेगा। बजट 2025-26 बिहार के लिए ढेर सारी उपलब्धियां लेकर आया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सौगात से बिहार में नई बहार आने वाली है। कारोबार में उछाल, पर्यटन में उछाल, कोसी के किसानों के सपने और मिथिलांचल में मखाना कारोबारियों की धूम। सब कुछ ठीक है। दिल्ली सरकार ने बिहार को हर वह अवसर देने का फैसला किया है जिसकी राज्य को जरूरत है। तो क्या हुआ अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में बार बंद कर दिए हैं, अब वित्त मंत्री ने मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा कर एक अवसर दे दिया है। बार बंद होने से बेरोजगार हुए कारोबारी मखाना कारोबार से जुड़ सकते हैं।

सरकार कहती है मखाना खाओ और स्वस्थ रहो

बिहार में शराब पीना और लोटपोट होना प्रतिबंधित है, लेकिन अच्छा खाना खाने पर बिल्कुल भी प्रतिबंध नहीं है। मखाना खाओ और स्वस्थ रहो। शराब बुरी चीज है। अब सरकार कहती है- मखाना सिर्फ खुद मत खाओ बल्कि इसका कारोबार इस तरह करो कि दूसरे भी इसे भरपूर मात्रा में खा सकें। इसे स्वास्थ्य सुधार की दिशा में बिहार सरकार और केंद्र सरकार की अनूठी जुगलबंदी कहा जा सकता है। विधानसभा चुनाव से पहले बिहार के लोगों को हर तरह से परिपूर्ण बनाने के लिए इससे बेहतर योजना और क्या हो सकती है! इसमें विटामिन ए, विटामिन बी5, विटामिन ई, बी-कॉम्प्लेक्स शामिल हैं।

मखाना में हैं कई गुण, इसे हमेशा खाएं। Union Budget 2025-26

मखाना बिहार का एक खास खाद्य उत्पाद है। इसकी पैदावार खास तौर पर बाढ़ग्रस्त और तालाब वाले इलाकों में होती है। मिथिलांचल इसके लिए खास तौर पर जाना जाता है। बिहार मैथिली, मछली के लिए मशहूर है और मखाना के लिए भी दूर-दूर तक जाना जाता है। इसकी आपूर्ति देश के कोने-कोने और विदेशों में भी होती है। मखाना खाने के कई फायदे हैं। किसान मालामाल होता है, खाने वाले खुश होते हैं। इससे चुस्ती-फुर्ती और फुर्ती आती है। क्योंकि मखाना तेल रहित होता है, यानी चर्बी से मुक्ति। मोटे लोगों के लिए यह वरदान है। इसे भूनकर खाने से वजन घटाने में मदद मिलती है। इसमें फाइबर अधिक होता है। एयर फ्राई किए हुए मखाने में कैलोरी कम होती है। स्वादिष्ट मखाना खीर सबसे ज्यादा मशहूर है। स्वाद में इसका कोई मुकाबला नहीं है।

मुट्ठी भर मखाने की ताकत को समझें। Union Budget 2025-26

मखाना लीवर के साथ-साथ डायबिटीज के मरीजों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह शुगर को नियंत्रित करता है। मखाना आपको धैर्यवान बनाता है। मखाने में भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है, इसलिए इसे खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। खेत में किसी भी अभियान में यह फायदेमंद होता है। यह पाचन क्रिया को भी दुरुस्त करता है। दही-चूरमा की तरह जितना मखाना खाएंगे, उतने ही ताकतवर होंगे- अंदर से फिट और बाहर से हिट। मुट्ठीभर मखाना खाने से लंबे समय तक भूख नहीं लगती। हर गांव में गरीब किसानों के बच्चे मुट्ठीभर मखाना खाकर खुश रहते हैं। जाहिर है मखाना बोर्ड बिहार की अर्थव्यवस्था में ग्रोथ लाएगा और गठबंधन सरकार की सेहत को भी मजबूत करेगा। वाकई योजना दूरगामी है। इससे भविष्य संवरेगा।

मखाना ताकत देता है। Union Budget 2025-26

सीएम नीतीश कुमार ने बार बंद करके यानी शराब पर प्रतिबंध लगाकर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया तो अब मोदी सरकार ने उन्हें मखाना खिलाकर स्वस्थ रखने की मुहिम शुरू की है। लेकिन डर बना हुआ है कि नकली शराब की तरह नकली मखाना भी आ सकता है। जानकारी के मुताबिक भारत दुनिया में मखाना का सबसे बड़ा उत्पादक है। और बिहार देश का इकलौता राज्य है जहां मखाना का सबसे ज्यादा यानी करीब 80 फीसदी उत्पादन होता है। पिछले साल मखाना का उत्पादन करीब 1,30,000 टन था, अब वर्ष 2025 तक इसका उत्पादन 1,40,000 टन तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके बावजूद मखाना की मांग साल दर साल बढ़ती जा रही है।

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