ऐसा इसलिए क्योंकि शेयर बाजार में निफ्टी और सेंसक्स में लगातार उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है
जून का महीना शेयर मार्केट ( MARKET ) के लिए अच्छा साबित नहीं हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि शेयर बाजार में निफ्सी और सेंसक्स में लगातार उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है।
केंद्र में भाजपा सरकार की सीटें घटना कारण
ऐसे समय में अगर आप बाजार में निवेश करने को सोंच रहे हैं तो अलर्ट हो जाइए। कारण नई सरकार के मंत्रालयों का बंटवारा। म्यूचुअल फंड सहित जो संस्थागत निवेशक हैं उनकी नजर भी मंत्रिमंडल विस्तार में लगी है। जानकारी के लिए बता दें इस बार केंद्र में भाजपा सरकार की सीटें घटना कारण है।
निवेश करने में अभी थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए
एक जून से शेयर बाजार में कभी उछाल तो कभी ढलाव देखा जा रहा है। बाजार में कभी 2600 अंक की तेजी हो जाती है तो कभी 4000 अंक की गिरावट हो जाती है। बाजार के आगे के प्रदर्शन की रणनीति को समझना मुश्किल हो गया है। ऐसे में निवेशक को निवेश करने में अभी थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए।
निवेशक अगर इनसे थोड़ा दूरी बनाए तो बेहतर
जैसे ही आज मंत्रिमंडल की बैठक में मंत्रियों के विभाग का बंटवारा किया गया है। ऐसे में सरकार कुछ बदलावों के साथ अपनी नीतियों पर काम करेगी। सरकारी कंपनियों के शेयरों ने दो-तीन वर्षों में कई गुना रिटर्न दिया है। जिसके बाद थोड़ा ठहराव भी रह सकता है। वहीं जानकारी के लिए बता दें हाल ही में शेयर के भाव ऊंचे हैं। जिसके कारण निवेशक अगर इनसे थोड़ा दूरी बनाए तो बेहतर रहेगा।
कल्याणकारी योजनाओं पर जोर होगा
बाजार के विशेषज्ञों की माने तो पांच साल तक सरकार स्थिर रहेगी। मगर इस बात का प्रमाण पुख्ता नहीं है। राजनीतिक स्थिरता का संकेत होना और स्थिर रहना दोनों में अंतर है। इसलिए अच्छे दिनों में निवेशकों को निवेशित रहना चाहिए। साथ ही गिरावट का लाभ उठाते हुए इक्विटी में निवेश बढ़ाना चाहिए। केंद्र सरकार के साथी दलों के शामिल होने से कल्याणकारी योजनाओं पर जोर होगा। जिसके कारण एफएमसीजी बेहतर कर रहे हैं।
एग्जिट पोल में बदलाव बड़ा कारण
मतदान के अंतिम चरण के बाद आए एग्जिट पोल के कारण बदलाव बड़ा कारण रहा। एक जून से तीन जून तक बीएसई सेंसेक्स में 2,507 अंक की तेजी देखी गई। जिसकी तेजी के कारण 76,469 के सार्वकालिक उच्च स्तर पर बंद हुआ। नतीजा ये रहा कि निवेशकों ने उस दिन जमकर कमाई की। चुनाव नतीजों के बाद सेंसेक्स 6,000 अंक टूटा था। जिसमें निवेशकों को 45 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान भी हुआ था।