Makar Sankranti 2025 : कहीं पोंगल तो कहीं खिचड़ी… ग्रहों व सेहत से जुड़ा है मकर संक्रांति पर्व

Makar Sankranti : 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व है। मकर संक्रांति का दिन ठंड का अंत और गर्म दिनों की शुरुआत माना जाता है। हिंदू घरों में मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा है। तमिलनाडु में इस पर्व को पोंगल के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म के साथ-साथ सेहत के लिए भी खिचड़ी का महत्व है। साल का पहला पर्व मकर संक्रांति को सेहत से जोड़ कर देखा जाता है। मान्यता है कि यह पर्व कई बीमारियों को खत्म कर देता है। इसलिए घरों में संक्रांति के दिन दाल और चावल की खिचड़ी बनाकर खाई जाती है।

14 जनवरी को है मकर संक्रांति | Makar Sankranti 2025

सनातन धर्म में मकर संक्रांति का पर्व कल यानी 14 जनवरी को मनाया जाएगा। तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल कहत हैं। मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने के साथ विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं। इस दिन लोग गंगा स्नान करने के लिए जाते हैं। स्नान के बाद खिचड़ी दान करने की परंपरा है। फिर खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और कुटुंभ सहित प्रसाद के रूप में खिचड़ी खाई जाती है। इसके साथ ही मकर संक्रांति पर्व पर तिल के लड्डू दान करने की भी परंपरा है।

क्या होता है खिचड़ी पर्व | Khichadi

मकर संक्रांति के दिन घरों में पोंगल या खिचड़ी में चावल पकाए जाते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि आखिर मकर संक्रांति पर्व पर पोंगल या खिचड़ी क्यों बनाते हैं। मकर संक्रांति पर चावल पकाने की परंपरा के पीछे एक महत्व जुड़ा है। चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। वहीं काली उड़द की दाल को शनि देव का प्रतीक माना गया। इसलिए मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है।

सेहत के लिए फायदेमंद है खिचड़ी | 14 January 2025

खिचड़ी या पोंगल खाने में काफी स्वादिष्ट लगते हैं। दोनों को ही पकाने का अलग-अलग तरीका होता है। लेकिन फिर भी खिचड़ी या पोंगल सेहत के लिए फायदेमंद है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से शरीर की कई बीमारियों का अंत हो जाता है। खिचड़ी या पोंगल पेट के लिए हल्का भोजन होता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए खिचड़ी एक स्वादिष्ट के साथ-साथ हेल्दी फूड है। घी और नींबू के साथ खिचड़ी खाने से इसका स्वाद और भी खास हो जाता है।

खिचड़ी या पोंगले का आयुर्वेद में महत्व

खिचड़ी या पोंगल का आयुर्वेद में काफी महत्व है। खिचड़ी खाने से प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार आता है और शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है। खिचड़ी को त्रिदोष निवारक के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इसमें तीन तत्वों या तीन दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने की क्षमता होती है। वहीं खिचड़ी में केवल चावल और दालें ही मुख्य सामग्री होती हैं, जिसके कारण यह आसानी से पच जाती है। आयुर्वेद में वैदिक काल से ही खिचड़ी खाने का जिक्र मिलता है। पोंगल या खिचड़ी शरीर को भीतर से शुद्ध करने में मदद करता है। कुछ खाद्य पदार्थ शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा कर देते हैं। उन्हें भी बाहर निकालने में खिचड़ी मदद करती है।

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