Major jerry blaze on operation sindoor : ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने भारतीय सेना की बहादुरी देखी। देश के बहादुर और साहसी सैनिकों ने इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिससे पाकिस्तानी सेना घुटनों पर आ गई। इंडिया टीवी पर, ऑपरेशन सिंदूर के नायकों ने 7 और 8 मई की रात का पूरा ब्यौरा दिया और कई महत्वपूर्ण डिटेल्स बताए। कार्यक्रम में कर्नल कोशांक लांबा, लेफ्टिनेंट कर्नल सुशील बिष्ट, नायब सूबेदार सतीश कुमार, नायब सूबेदार रत्नेश घोष और मेजर जेरी ब्लेज़ मौजूद थे। इस टीम के एक सदस्य, मेजर जेरी ब्लेज़ ने बताया कि कैसे उन्होंने और उनकी टीम ने घायल होने के बावजूद ऑपरेशन जारी रखा और आखिरकार पाकिस्तान को हराने में सफल रहे।
मेजर जेरी ब्लेज़ को मेंशन इन डिस्पैच से सम्मानित किया गया।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, मेजर जेरी ब्लेज़ उस जगह से 250 मीटर दूर थे जहाँ उन्हें मेंशन इन डिस्पैच पुरस्कार मिला था, जबकि पाकिस्तान लगातार उस इलाके में गोलाबारी कर रहा था। पूंछ सेक्टर में सेना के साथ-साथ भारतीय नागरिकों को भी निशाना बनाया जा रहा था। मेजर जेरी ब्लेज़ ने अपनी जान की परवाह किए बिना, आग की लाइन में जाकर जवाबी कार्रवाई की और उन पाकिस्तानी चौकियों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया जो आतंकवादियों को पनाह दे रही थीं और रॉकेट लॉन्चर से भारतीय सेना को निशाना बना रही थीं। इस कार्रवाई के दौरान वह घायल हो गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लड़ते रहे। इस बहादुरी के लिए उन्हें मेंशन इन डिस्पैच से सम्मानित किया गया।
हाथ और जांघ में गंभीर चोटें। Major jerry blaze on operation sindoor
मेंशन इन डिस्पैच पाने वाले मेजर जेरी ब्लेज़ ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, रॉकेट लॉन्चर चलाते समय, दुश्मन द्वारा दागे गए RPG के छर्रे उन्हें लगे। उनके बाएं हाथ और दाहिनी जांघ में चोटें आईं। हालांकि, इसके बावजूद, उनकी कंपनी के सैनिक उनकी मदद के लिए आए, और एक बैटलफील्ड नर्सिंग असिस्टेंट, जो फर्स्ट एड में प्रशिक्षित है, ने उनका इलाज किया। फिर टीम ने जल्दी से अपने हथियार सक्रिय किए और तब तक नहीं रुके जब तक उन्होंने अपना मुख्य काम पूरा नहीं कर लिया।
घायल होने के बाबजूद निभाया अपना कर्तव्य।
मेजर जेरी ब्लेज़ ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, घायल होने के बाद भी, वह 12-13 मिनट तक अपनी पोस्ट पर रहे और फायरिंग को कोऑर्डिनेट करते रहे। इस दौरान, उनके पास मोर्टार फायर कंट्रोलर की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी थी, जिसके लिए उन्हें और उनकी पूरी टीम को दुश्मन के तय ठिकानों पर मोर्टार फायर निर्देशित करना था।
सामने थे दुश्मन, नागरिकों को बना रहे थे निशाना।
मेजर जेरी ब्लेज़ ने बताया, “दुश्मन लाइन ऑफ़ कंट्रोल (LOC) के इतने करीब थे कि वे साफ़ दिखाई दे रहे थे। वे हमारे सैनिकों को निशाना बनाने से डर रहे थे, इसलिए उन्होंने नागरिकों को निशाना बनाया। हालांकि, पहलगाम और पुंछ में हमलों के बाद, नेशनल राइफल्स के हर सैनिक को बदला लेना था, इसलिए उन्होंने जवाबी कार्रवाई की और एक बड़ा जवाबी हमला किया।”

