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Major Festivals of October -2025 : आस्था, परंपरा और उत्सवों से भरा महीना अक्टूबर

Major Festivals of October -2025 : आस्था, परंपरा और उत्सवों से भरा महीना अक्टूबर – वर्ष 2025 का अक्टूबर माह भारतीय संस्कृति और धार्मिक उत्सवों के लिहाज से बेहद खास है। यह महीना न केवल नवरात्रि और दशहरा से शुरुआत करता है, बल्कि दीपावली, भाई दूज, छठ पूजा जैसे बड़े पर्वों के साथ पूरे देश को उत्सवमय बना देता है। आस्था, भक्ति, परिवार और परंपराओं की खुशबू इस पूरे महीने में फैली रहती है। इस माह में अनेक व्रत, पर्व, जयंती और स्मृति दिवस पड़ रहे हैं जो भारतीय जीवनशैली की विविधता और गहराई का सुंदर परिचय देते हैं। अक्टूबर 2025 के प्रमुख व्रत और त्योहार से इस माह की शुरुआत हुई जिसमें दिनांक 1-अक्टूबर को नवरात्रि नवमी, जवारे विसर्जन मां दुर्गा की उपासना का अंतिम दिन, नवमी पूजन के बाद जवारे विसर्जित कर नवरात्रि का समापन हुआ वहीं दिनांक 2 – अक्टूबर विजयादशमी यानी दशहरा और गांधी जयंती असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा, और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती दोनों ही दिन देश को आदर्श और प्रेरणा की राह दिखाने वाले दिन भारतीय जनों के लिए विशेष रहे। इस लेख के माध्यम से पूरे माह के धार्मिक तिथि त्योहारों को जानते हैं जो इस प्रकार हैं।

चंद्रदेव बरसाएंगे सोलह कलाओं से अमृत

6 अक्टूबर – शरद पूर्णिमा ( कोजागिरी व्रत ) – इस दिन चंद्रमा की रोशनी में रखे चावल की खीर रखने की परम्परा है। मान्यता है की इस दिन आकाश से पड़ने वाली ओस की बूंदों को अमृत तुल्य माना जाता है। यह रात धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए विशेष मणि जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और स्वाति नक्षत्र में आने पर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है।

10 अक्टूबर,करवा चौथ – करवा चौथ का दिन महिलाओं के लिए न सिर्फ एक तपस्या का अवसर होता है बल्कि सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती ही हैं और चांद देखकर व्रत खोलती हैं क्योंकि त्योहार वैवाहिक प्रेम और निष्ठा का प्रतीक है। इसके साथ महिलाओं इस त्यौहार पर जमकर अपने लिए साज-श्रृंगार व गहने की शॉपिंग भी करतीं हैं।

13 अक्टूबर-अहोई अष्टमी – इस दिन माताएं अपनी-अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए अहोई माता का व्रत करती हैं। यह व्रत दीपावली से कुछ दिन पहले आता है।

18 अक्टूबर – धनतेरस धन और आरोग्य के देवता धन्वंतरि की पूजा होती है। इस दिन नए बर्तन, आभूषण या वाहन खरीदना शुभ माना जाता है।

20 अक्टूबर – दीपावली (लक्ष्मी पूजन) साल का सबसे बड़ा त्योहार, जब घर-घर में दीप जलते हैं और मां लक्ष्मी का स्वागत होता है। यह दिन अंधकार पर प्रकाश की, और निराशा पर आशा की विजय का प्रतीक है।

22 अक्टूबर – गोवर्धन पूजा अन्नकूट पर्व के रूप में मनाया जाने वाला यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा है।

23 अक्टूबर – भाई दूज भाई-बहन के स्नेह का यह त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही पारिवारिक रिश्तों की मिठास बढ़ाता है।

27 अक्टूबर – छठ पूजा (संध्या अर्घ्य) सूर्योपासना का यह महापर्व बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और विंध्य क्षेत्र में विशेष रूप से मनाया जाता है। यह लोकआस्था और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का अनूठा प्रतीक है।

28 अक्टूबर – इस दिन छठ पूजा की समाप्ति होगी जिसमें छठ पारण,प्रातः सूरज पूजा-अर्घ और सहत्रबाहु जयंती मनाई जाएगी।

29 अक्टूबर – 29 तारीख को गोपाष्टमी मनाई जाएगी जो विशेष रूप से वैश्य समाज के लोग प्रमुखता से मानते हैं जबकि जैन समाज के लोग इस दिन जैन अष्टान्हिका पर्व मनाएंगें।

30 अक्टूबर – इस दिन भगवान विष्णु की आराधना का विशेष पर्व है जिसमें आंवले के वृक्ष की पूजा बहुत ही विधिविधान से करने से अभय व इष्ट फल और मनोकामनाओं की पूर्ति होगी इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे अपने परिजनों के साथ भोजन करने की भी मान्यता है इस तिथि को बहुत जगह कुष्मांडा नौमी के नाम से भी जाना व मनाया जाता है।

31 अक्टूबर – इस दिन विष्णु त्रिरात्रि तिथि पड़ती है ,मान्यता है की नौमी तिथि के बाद भगवन विष्णु की आराधना से माँ लक्ष्मी प्रशन्न हो अभीष्ठ फल प्रदान करती हैं जबकि ऐसी दिन देश की पहली महिला प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की पुण्य तिथि और सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती भी मनाई जाएगी।

इसके अलावा भी विशेष दिन – वाल्मीकि जयंती, जयप्रकाश नारायण जयंती, इंदिरा गांधी पुण्यतिथि, सरदार पटेल जयंती, गुरु गोविंद सिंह – पुण्यतिथि जैसे अनेक दिवस अक्टूबर माह को ऐतिहासिक और प्रेरणादायक बनाते हैं।

विषय विशेष – आस्था, अपनापन और उत्साह से भरा महीना
अक्टूबर 2025 भारतीय परंपरा, आस्था और एकता का दर्पण है। यह महीना हमें यह सिखाता है कि त्योहार केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मकता, एकता और प्रेम का उत्सव हैं। हर पर्व हमें अपने मूल्यों से जोड़ता है और यही भारत की संस्कृति की सबसे बड़ी पहचान है।

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