Maithili Thakur Party, Vidhan Sabha, Age In Hindi | बिहार की सियासी हलचलों में एक नया मोड़ तब आया जब लोकगायिका Maithili Thakur के भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा जोर पकड़ने लगी है।
यह खबर ऐसे समय में सामने आई है जब Bhojpuri actor Pawan Singh हाल ही में भाजपा में वापस लौटे हैं, और दोनों नामों को लेकर राजनीति गलियारे में गहन चर्चा चल रही है।
मैथिली ठाकुर ने भाजपा बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात की है। उन्होंने मीडिया को बताया कि यह मुलाकात लगभग आधे घंटे तक चली और पॉजिटिव रही।
Maithili Thakur ने स्पष्ट किया कि वे हमेशा से ही भाजपा की प्राथमिकता रही हैं और एनडीए के समर्थन में रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके मन में यह विचार है कि वे दिल्ली से लौटकर बिहार में रहकर जन-सेवा करना चाहती हैं, क्योंकि उनकी आत्मा बिहार से जुड़ी है।
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उनका यह भी कहना था कि उन्होंने राजनीति को “खेल” की तरह देखने का इरादा नहीं है, बल्कि उनका मकसद बदलाव लाना है। बिहार के लोगों की सेवा करना उनका लक्ष्य है।
उन्होंने यह चुनौती स्वीकार की कि उनकी उम्र पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं, लेकिन वह इसे दबाव नहीं बल्कि प्रेरणा मानती हैं और खुद को साबित करने की दृढ़ इच्छा रखती हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा इस चुनाव में स्टार पॉलिटिक्स पर ध्यान दे रही है — ऐसे उम्मीदवार जो लोकप्रिय हों और सामाजिक प्रभाव भी रखते हों।
मैथिली ठाकुर मिथिलांचल की रहने वाली हैं और उनके पास एक बड़े फॉलोइंग का आधार है, जो उन्हें महिला वोटरों और युवा वर्ग में मजबूती दे सकता है। वे ब्राह्मण समाज से आती हैं, लेकिन भाजपा इस कदम से जातीय समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश कर सकती है।
इस बीच, पवन सिंह की भाजपा में वापसी ने पहले ही सुर्खियाँ बटोरी थीं। अब मैथिली ठाकुर की संभावित एंट्री से इस चुनावी लड़ाई का स्वरूप और भी दिलचस्प हो गया है। इसके अलावा, रितेश पांडे ने जन सुराज पार्टी ज्वॉइन कर लिया है, और खेसारी लाल यादव का नाम भी राजनीति में उतरने की अटकलों में शामिल हो गया है।
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बिहार की इस राजनीतिक त्रिकोणीय मुकाबले में, जहां एनडीए, INDIA गठबंधन और नई पार्टियाँ जैसे जन सुराज अपनी दावेदारी जता रही हैं, मैथिली ठाकुर का नाम एक आकर्षक विकल्प बनता दिख रहा है।
यदि वे भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरती हैं, तो यह न केवल स्टार पॉलिटिक को बढ़ावा देगा बल्कि बिहार की सियासी पंडरियों को नया रंग भी दे सकता है।
