Maithili Thakur Joins BJP: भजन से भाजपा तक का सफर, मैथिली ठाकुर की नई पारी पर सबकी नजर

Maithili Thakur Joins BJP

Maithili Thakur Joins BJP: जब संगीत की दुनिया की एक चमकती हुई आवाज अचानक से राजनीति के गलियारों में कदम रखे तो यह एक खबर नहीं बनती बल्कि बदलाव की कहानी हो जाती है। जी हां, ऐसा ही कुछ हुआ है मैथिली ठाकुर के साथ। मैथिली ठाकुर जिसे मिथिला की बेटी के नाम से दुनिया जानती है वह अपने लोक और शास्त्रीय संगीत के दम पर अपनी पहचान बन चुकी है और अब राजनीति में सुर्खियां बटन वाली है। जी हां, उन्होंने ऐलान किया है कि वह बीजेपी में शामिल होकर बिहार विधानसभा 2025 का चुनाव लड़ने वाली है।

Maithili Thakur Joins BJP
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मैथिली ठाकुर के बीजेपी में ज्वाइन होने की खबर से ही अब बिहार की राजनीति में सनसनी मची हुई है। हालांकि कुछ समय पहले से ही अटकलें लगाई जा रही थी कि मैथिली ठाकुर जल्द ही पॉलिटिक्स में आएंगी। परंतु क्या यह सुरीली आवाज वोट बैंक की राजनीति बदल पाएगी? क्या संगीत के साथ वे राजनीति के मंच पर भी अपना प्रभाव और अपनी पहचान बना सकेगी? इसके चलते कई प्रश्न उनका पीछा कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर यह बहस का मुद्दा भी बन चुके हैं।

बिहार की स्टेट आइकॉन क्या कर पाएंगी राजनीतिक नेतृत्व?

बता दें मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को मधुबनी जिला मिथिला में हुआ। वे बचपन से ही संगीत सिखती आई है। उन्होंने कम उम्र में ही रियलिटी शो, सोशल मीडिया, पारंपरिक लोकगीत, भजन के जरिए अपना नाम बना लिया। हालांकि मिथिला गीतों की संस्कृति से उन्हें ज्यादा पहचान मिली। उन्हें उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है और बिहार की स्टेट आइकॉन भी माना जाता है। सोशल मीडिया पर मैथिली की अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है कई युवा तो उन्हें आइडलाइज भी करते हैं।

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क्या सोशल मीडिया की फैन फॉलोइंग राजनीति का लाभ देगी?

मैथिली ठाकुर के राजनीति में आने के पीछे कुछ कारण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। वह शुरुआत से ही बिहार और मिथिला क्षेत्र की सेवा करना चाहती है। वही राजनीति में अक्सर पॉपुलर हस्ती को वोट बैंक माना जाता है विशेषकर युवा वर्ग। ऐसे में मैथिली का चेहरा बीजेपी का वोट बैंक बन सकता है। इसके अलावा बात हो जब भाषा संस्कृति की तो मैथिली ठाकुर को बीजेपी प्रचार अभियानों में शामिल कर सकती है जिसकी वजह से मिथिला क्षेत्र की संस्कृति को जोड़ते हुए मैथिली ठाकुर अच्छा खासा नेतृत्व कर सकती है। और इस क्षेत्र में सामाजिक बदलाव भी ला सकती हैं।

हालांकि राजनीति विशेषज्ञों की माने तो राजनीति प्रशासन, चुनाव प्रबंधन, रोज़मर्रा की समस्याएं इत्यादि के अनुभव की कमी मैथिली ठाकुर के लिए बहुत बड़ा झटका हो सकती है। वही केवल परिचित चेहरा होना काफी नहीं विपक्ष का हमला भी झेलना होता है। ऐसे में 25 वर्ष की आयु और राजनीति का कम अनुभव यह मैथिली ठाकुर के लिए संभावित चुनौती हो सकती है।

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